Friday, May 9, 2025

विपक्ष को भाजपा और भारतीय संस्कृति के अनुयायियों से खतरा : दिनेश प्रताप सिंह

रायबरेली। उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह ने महाकुंभ पर विपक्षी दलों के सवाल उठाने पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि इन लोगों को भाजपा और भारतीय संस्कृति के अनुयायियों से खतरा नजर आ रहा है। इसी कारण सवाल उठा रहे हैं। प्रयागराज महाकुंभ में बड़ी संख्या में आ रहे श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए भारतीय जनता पार्टी ने कैंप लगाया है। उसी कैंप में यूपी सरकार के मंत्री दिनेश प्रताप सिंह पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने पत्रकारों से बातचीत भी की। उन्होंने सवाल पूछा कि अगर अव्यवस्था होती तो 50 करोड़ लोग स्नान कैसे कर चुके हैं? अव्यवस्था विपक्ष को हो रही है। विपक्ष को भारतीय जनता पार्टी और भारतीय संस्कृति के अनुयायियों से खतरा नजर आ रहा है। भाजपा सबकी सेवा कर रही है। इस कारण विदेश से लोग स्नान के लिए आ रहे हैं। हम सभी की सेवा कर रहे हैं। उन्होंने महाकुंभ में वीवीआईपी के आने पर कहा कि वह भी भारत के नागरिक हैं। कुछ लोग संत का चोला ओढ़कर चांदी के सिंहासन में बैठकर ऐसी बात कर रहे हैं।

खुद व्यवस्था छोड़ दें। राहुल गांधी क्या गंगा स्नान के लिए अकेले जाएंगे? अखिलेश यादव क्या अकेले गए थे? उनके साथ सुरक्षा थी। उनको सुरक्षा देना सरकार की जिम्मेदारी है। हर वीवीआईपी को सुरक्षा देना हमारा धर्म और कर्तव्य है। मैं तो देश के सभी वीवीआईपी से आग्रह करूंगा कि वे सभी स्नान के लिए आएं। राष्ट्रपति से अति विशिष्ट कोई नहीं है। वो आईं तो सबको आना चाहिए। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में श्रद्धालुओं की चिंता पार्टी को थी। इसी आशय से रायबरेली यूनिट को नेतृत्व ने निर्देश दिया है कि रायबरेली की सीमा से जो भी श्रद्धालु गुजर रहे हैं, उन्‍हें कोई समस्या न हो। इसका ख्याल रखना है। यहां पर श्रद्धालुओं को रहने, भोजन और पानी की सारी सुविधाएं उपलब्ध हैं।

बता दें कि महाकुंभ की भव्यता और दिव्यता सभी सीमाओं को लांघते हुए पूरे विश्व को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में इस ऐतिहासिक आयोजन की ऐसी उत्कृष्ट व्यवस्थाएं की गई हैं, जिसने इसे अब तक का सबसे भव्य और सुव्यवस्थित महाकुंभ बना दिया है। सत्ता पक्ष से लेकर विपक्ष तक, आमजन से लेकर वीवीआईपी तक, हर कोई संगम में आस्था की डुबकी लगाने के लिए उत्सुक दिख रहा है। विपक्ष के नेताओं की जुबान पर भले ही विरोध रहा हो, लेकिन मन में उत्साह लेकर अधिकतर नेताओं को संगम की शरण में आते देखा जा रहा है।

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