Saturday, April 19, 2025

स्मृति ईरानी की डिग्री पर उठाया विवाद, दिल्ली हाई कोर्ट 19 अक्टूबर को करेगा सुनवाई

नई दिल्ली । दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के डिग्री विवाद मामले की सुनवाई 19 अक्टूबर को करेगा। जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। 19 अक्टूबर को कोर्ट इस याचिका के सुनवाई योग्य होने के सवाल पर सुनवाई करेगा।

याचिका अहमर खान ने दायर की है। याचिका में ट्रायल कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई है, जिसमें याचिका को खारिज करने और स्मृति ईरानी को समन जारी करने से इनकार करने का आदेश दिया गया था। याचिका में कहा गया है कि स्मृति ईरानी ने 2004, 2011 और 2014 में लोकसभा और राज्यसभा का नामांकन भरते वक्त अपनी शैक्षणिक योग्यता को लेकर निर्वाचन आयोग में झूठा हलफनामा दाखिल किया था।

याचिका में कहा गया है कि 2004 में स्मृति ईरानी ने दिल्ली के चांदनी चौक इलाके से लोकसभा का चुनाव लड़ने के लिए जो नामांकन पत्र भरा था उसमें कहा गया था कि उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्राचार के जरिये 1996 में बीए की डिग्री हासिल की थी। याचिका में कहा गया है कि 2011 में जब स्मृति ईरानी ने गुजरात से राज्यसभा का चुनाव लड़ा तो नामांकन के लिए दाखिल हलफनामे में अपनी सबसे बड़ी डिग्री के रूप में दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्राचार के जरिये बीकॉम पार्ट वन की 1994 की डिग्री बताई थी।

याचिका में आगे कहा गया है कि स्मृति ईरानी ने 2014 में जब अमेठी से लोकसभा का चुनाव लड़ा तो अपने हलफनामे में दिल्ली यूनिवर्सिटी के ओपन लर्निंग (पत्राचार) से 1994 में बैचलर ऑफ कॉमर्स पार्ट वन की डिग्री का जिक्र किया है।

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सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता ने मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के आदेश को सेशंस कोर्ट में चुनौती दिए बिना ही हाईकोर्ट चले आए हैं। तब याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि सेशंस कोर्ट और हाईकोर्ट का समान क्षेत्राधिकार है। इसलिए ये याचिका सुनवाई योग्य है। उसके बाद कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी करते हुए 19 अक्टूबर को याचिका के सुनवाई योग्य होने के मामले पर सुनवाई करने का आदेश दिया।

बता दें कि 18 अक्टूबर 2016 को पटियाला हाउस कोर्ट ने ईरानी के खिलाफ समन जारी करने की मांग खारिज कर दिया था । पटियाला हाउस कोर्ट ने कहा था कि याचिका दायर करने में 11 साल की देर की गई है। कोर्ट ने माना था कि ये याचिका ईरानी को प्रताड़ित करने के इरादे से दायर की गई है ।

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