मुजफ्फरनगर। मुजफ्फरनगर जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने आज विकासखंड जानसठ के ग्राम जन्धेड़ी में प्रगतिशील कृषक के यहां संरक्षित खेती के तहत उगाई जा रही फसलों का निरीक्षण किया। उन्होंने संरक्षित खेती के महत्व को रेखांकित करते हुए इसे किसानों की आय बढ़ाने का प्रभावी माध्यम बताया।
उन्होंने बताया कि उद्यान विभाग मुजफ्फरनगर द्वारा संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए पोली हाउस स्थापित करने हेतु किसानों को 50% अनुदान प्रदान किया जा रहा है।
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जिलाधिकारी उमेश मिश्रा ने आज जनपद के विकासखण्ड- जानसठ के ग्राम- जन्धेडी में प्रगतिशील कृषक सौरभ शर्मा पुत्र श्रीपाल शर्मा के यहाँ संरक्षित खेती के अन्तर्गत की जा रही फसलों का निरीक्षण किया। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा को कृषक सौरभ शर्मा के द्वारा अवगत कराया गया कि संरक्षित खेती के अन्तर्गत टमाटर एवं शिमला मिर्च का उत्पादन किया जा रहा है।
सौरभ शर्मा द्वारा टमाटर की खेती 2 एकड क्षेत्रफल में की जा रही है। टमाटर की अधिक उत्पादन देने वाली प्रजाति नामधारी-4266 को उगाकर प्रगतिशील कृषक द्वारा अत्यधिक मुनाफा लिया जा रहा है। उपरोक्त प्रजाति की पैदावार 100 टन प्रति एकड है तथा कृषक द्वारा बताया गया कि टमाटर का बाजार में मूल्य 30 रू0 प्रति किलो मिल जाता है एवं औसत बाजार का भाव 20 रू0 प्रति किलो रहता है।
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इस प्रकार टमाटर की फसल का कुल मूल्य 20 लाख रूपये प्रति एकड की दर से कृषक को प्राप्त होता है। कुल लागत लगभग 8 लाख रूपये प्रति एकड की दर से खर्च होता है। इस प्रकार कृषक को 9 माह की फसल से प्रति एकड की दर से लगभग 12 लाख रू0 का शुद्ध लाभ प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त शर्मा द्वारा लाल एंव पीली शिमला मिर्च का उत्पादन भी संरक्षित खेती के माध्यम से किया जाता है। शिमला मिर्च की खेती आधा एकड क्षेत्रफल में की जा रही है।
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आधा एकड क्षेत्रफल में शिमला मिर्च का उत्पादन 8 से 10 टन (09 महिने) तक होता है। वर्तमान में शिमला मिर्च का बाजार भाव 230 रू0 प्रति कि०ग्राम है। इस प्रकार शिमला मिर्च की फसल का कुल मूल्य लगभग 16 लाख रूपये प्रति एकड की दर से कृषक को प्राप्त होता है। कुल लागत लगभग 7 लाख रूपये प्रति एकड की दर से खर्च होता है। इस प्रकार कृषक को 09 माह की फसल से प्रति एकड की दर से लगभग 09 लाख रू० का शुद्ध लाभ प्राप्त होता है। उपरोक्त दोनो उत्पाद प्रगतिशील कृषक द्वारा दिल्ली में आजादपुर मण्डी में विक्रय किया जाता है।
जिलाधिकारी द्वारा संरक्षित खेती करने वाले दयानन्द सैनी पुत्र कालूराम सैनी ग्राम- बुआराकलॉ, विकासखण्ड खतौली की खीरे की खेती का निरीक्षण किया गया। दयानन्द सैनी द्वारा 2 एकड क्षेत्रफल में खीरे की उन्नत खेती की जा रही है, जिसकी पैदावार 150 कु० प्रति एकड होती है।
संरक्षित खेती के अन्तर्गत उद्यान विभाग मुजफ्फरनगर द्वारा पोली हाउस स्थापित करने के लिए 50 प्रतिशत का अनुदान कृषकों को दिया जा रहा है। संरक्षित खेती के अन्तर्गत फसलों में कम कृषि निवेश यथा उर्वरक, कीटनाशी, रसायनों की आवश्यकता पडती है। साथ ही संरक्षित खेती के अन्तर्गत उगाई गई फसलों में कीट रोग इत्यादि कम लगते है। संरक्षित खेती के अन्तर्गत उगाई गई फसलें अत्यधिक चमकदार, आकर्षक होती है जिससे उनका बाजार मूल्य अधिक होता है।
जिलाधिकारी द्वारा उप कृषि निदेशक, जिला कृषि अधिकारी एंव जिला उद्यान अधिकारी, मुजफ्फरनगर को निर्देशित किया कि जनपद के समस्त संरक्षित खेती करने वाले कृषकों के साथ-साथ ऐसे कृषक जो संरक्षित खेती में रूचि रखते है का एक प्रशिक्षण कार्यक्रम निकट भविष्य में जल्द ही आयोजित किया जायें।
इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में संरक्षित खेती से सम्बन्धित कृषि वैज्ञानिको, तकनीकी विशेषज्ञों, अपीडा के प्रतिनिधियों को भी आवश्यक रूप से प्रतिभाग कराया जायें, जिससे कृषकों को उत्पादन से विक्रय तक समस्त तकनीकी जानकारी प्रभावशाली रूप से प्रदान की जायें।