निश्चित रूप से इस सकल ब्रह्मांड का अधिपति एक है। उसे सृष्टा पोषक एवं परिवर्तनकर्ता कहा गया है। उत्पत्तिकर्ता, पालनकर्ता और संहारक भी कह सकते हैं। ये तीनों विशेषताएं एक ही ब्रह्म सत्ता की है।
अलग-अलग समय और अलग-अलग कार्यों के लिए विभिन्न नामों से सम्बोधन करने के बावजूद वह एक ही परमात्म सत्ता है। एक ही व्यक्ति विद्वान, बलवान और धनवान हो सकता है। एक ही व्यक्ति में वक्ता गायक एवं चित्रकार की विशेषताएं पाई जा सकती है।
एक ही व्यक्ति किसी का पिता, किसी का पुत्र, किसी का दादा किसी का पौत्र किसी का नाना होता है। इतने रिश्ते होते हुए भी वह एक ही मनुष्य है। यह भी आवश्यक नहीं कि केवल एक ही विशेषता एक ही व्यक्ति में हो। यह भी आवश्यक नहीं कि परमात्मा को सभी मनुष्य एक ही नाम से पुकारे, स्थान और भाषा बोध से उसके लिए सम्बोधन भी भिन्न-भिन्न होने स्वाभाविक हैं।
परमपिता परमात्मा तो सर्व शक्तिमान है, उसमें उत्पादन, अभिवर्धन एवं परिवर्तन तीनों विशेषताएं विद्यमान हैं, जिसके आधार पर यह सृष्टिक्रम चल रहा है और हम उसकी विभिन्न विशेषताओं के कारण से ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश के सम्बोधन से याद करते हैं। ये नाम भिन्न-भिन्न अवश्य है, परन्तु वह एक ही परम सत्ता है।