नई दिल्ली। अगर आप यह मानते हैं कि बैंक में जमा की गई आपकी पूरी रकम हर हाल में सुरक्षित है, तो यह खबर आपके लिए बेहद ज़रूरी है। भारत सरकार ने 2020 में एक बड़ा बदलाव किया था, जो हर खाताधारक को जानना चाहिए—बैंक में जमा केवल ₹5 लाख तक की राशि ही पूरी तरह से सुरक्षित है।
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क्या है डिपॉजिट इंश्योरेंस?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2020-21 के बजट में घोषणा की थी कि बैंक जमाओं पर मिलने वाली इंश्योरेंस सुरक्षा की सीमा ₹1 लाख से बढ़ाकर ₹5 लाख कर दी गई है। यह व्यवस्था DICGC (Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation) के तहत लागू होती है, जो भारतीय रिज़र्व बैंक की एक सहायक इकाई है।
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यह बीमा कवर बचत खाता (Saving Account), चालू खाता (Current Account), फिक्स्ड डिपॉज़िट (FD) और रिकरिंग डिपॉज़िट (RD)—सभी प्रकार के खातों पर लागू होता है।
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क्या है ₹5 लाख की सीमा का मतलब?
यह सुरक्षा सीमा “प्रति जमाकर्ता प्रति बैंक” के आधार पर लागू होती है। अगर किसी व्यक्ति ने एक ही बैंक में कई खातों में ₹10 लाख जमा कर रखे हैं, और वह बैंक डूब जाता है या दिवालिया घोषित हो जाता है, तो उस व्यक्ति को अधिकतम ₹5 लाख ही वापस मिलेंगे। अगर यही ₹10 लाख की राशि दो अलग-अलग बैंकों में ₹5-5 लाख करके जमा की गई है, तो दोनों बैंकों में से हर एक के लिए अलग-अलग ₹5 लाख तक की सुरक्षा मिलेगी।
बैंक डूबने पर क्या होता है?
अगर किसी बैंक की वित्तीय स्थिति बिगड़ती है, उस पर रोक लगती है या वह दिवालिया हो जाता है, तो DICGC के नियमों के तहत 90 दिनों के भीतर खाताधारकों को बीमित राशि प्रदान की जाती है। पहले की तुलना में यह प्रक्रिया अब काफी तेज़ और पारदर्शी हो गई है।
क्या करें खाताधारक?
भारत में बैंकिंग व्यवस्था मज़बूत मानी जाती है, लेकिन जोखिम की संभावना से पूरी तरह इनकार नहीं किया जा सकता। ऐसे में यदि आपकी जमा राशि ₹5 लाख से अधिक है, तो उसे विभिन्न बैंकों में वितरित करना एक समझदारी भरा कदम हो सकता है। इससे हर बैंक पर अलग-अलग ₹5 लाख तक की सुरक्षा मिलती है।