रांची। झारखंड में शनिवार को राज्य के तमाम सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों के ‘ड्यूटी बहिष्कार आंदोलन’ से लोग परेशान रहे। हॉस्पिटल्स और क्लिनिक से हजारों लोग बगैर इलाज मायूस होकर लौटे। राज्य के सबसे बड़े सरकारी हॉस्पिटल रांची स्थित रिम्स में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल पांचवें दिन भी जारी रही।
यहां ओपीडी सेवा लगातार कई दिनों से ठप है और करीब एक हजार से ज्यादा सर्जरी टाली जा चुकी है। इमरजेंसी को छोड़ रेगुलर हेल्थ सर्विस बुरी तरह प्रभावित हुई है। कोलकाता की घटना के खिलाफ आईएमए के आह्वान पर देशव्यापी हड़ताल को झारखंड के सरकारी और प्राइवेट डॉक्टरों ने पूरा समर्थन दिया। रांची, जमशेदपुर, धनबाद, दुमका, हजारीबाग सहित कई शहरों में डॉक्टरों ने सुरक्षा की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया।
आईएमए की झारखंड इकाई के सचिव डॉ. प्रदीप सिंह ने कहा कि राज्यभर में 16 हजार से ज्यादा डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मियों की हड़ताल रविवार सुबह 6 बजे तक जारी रहेगी। रिम्स के जूनियर डॉक्टरों ने अपनी हड़ताल अनिश्चितकाल तक जारी रखने का निर्णय लिया है। इस बीच झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के हड़ताली डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की घटना की जितनी भी निंदा की जाए, कम है। पश्चिम बंगाल एवं केंद्र सरकार की एजेंसियां दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने हेतु प्रयत्नशील हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
सोरेन ने कहा, “मैं राज्य के सभी साथी डॉक्टरों से अपील करना चाहूंगा कि आपकी सरकार आपकी वेदना में आपके साथ खड़ी है, परंतु राज्य के मरीजों का इलाज भी अत्यंत आवश्यक है। आप काम पर लौटें एवं मरीजों को स्वस्थ बनाने में अपना सार्थक सहयोग करें। साथ ही मैं आप सबको बताना चाहूंगा कि मैंने डीजीपी को राज्य के अस्पतालों में भी काम करने वाले सभी कर्मियों की सुरक्षा हेतु कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया है।”