Monday, April 14, 2025

किसी को ना समझें अपने से छोटा

विद्या, धन, बल, पदवी प्राप्त होने पर अभिमान न करो। कम विद्या वाले को, निर्धन या जिनके पास धन आप जितना नहीं, पर्याप्त बल के स्वामी होने पर अपने से निर्बल को, पद में अपने से निम्र स्तर वाले को हेय तथा छोटा न समझो। उन्हें असम्मान नहीं सम्मान दें। सदैव नम्रता और शिष्टता का व्यवहार करो। उसे अपने व्यवहार से यह सोचने का अवसर न दो कि मुझे छोटा समझा जा रहा है।

यर्जुवेद का ऋषि कहता है ‘उत्तान हस्तानम सोच सद्य’ – यदि संसार में उन्नति करना चाहते हो, मान-सम्मान चाहते हो तो विनम्र बनो।

फ्रांस के राजा हेनरी चतुर्थ अपने अधिकारियों के साथ कहीं जा रहे थे। मार्ग में एक भिक्षुक ने अपनी टोपी उतारकर झुककर उनका अभिवादन किया। सम्राट ने भी उसी प्रकार उत्तर दिया। यह देखकर एक अधिकारी ने पूछा, “महामहिम क्या एक भिखारी को इस प्रकार से अभिवादन करना उचित है?” सम्राट ने कहा, “सभ्यता मिथ्या अभिमान में नहीं नम्रता में है। मुझे एक भिक्षु जितना नम्र तो होना ही चाहिए।”

हमें ऐसी घटना से शिक्षा लेनी चाहिए। हम किसी को छोटा न समझें। जब दूसरे मिले तो ससम्मान अभिवादन तो करना ही चाहिए।

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