मुजफ्फरनगर। एक सितंबर 2024 को पिंक सिटी प्रेस क्लब,मुख्य सभागार में साहित्यकार सम्मारोह का आयोजन किया गया। इस समारोह में (विवाह पश्चात देहरादून की )साहित्यकार नीलिमा शर्मा (वर्तमान निवास दिल्ली) की कहानी “दिल दिल्ली देह देहरादून “को अखिल भारतीय कुमुद टिक्कू कहानी प्रतियोगिता में द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ था। डिस्टेंस रिलेशनशिप में पति पत्नी के मध्य की उहापोह को इस कहानी में मनोवैज्ञानिक तरीके से शब्दांकित किया गया है ।
नीलिमा शर्मा का कहानी संग्रह “कोई खुशबू उदास करती है” बहुत पसंद किया गया।
नीलिमा की कहानियों में मनोविज्ञान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि वह अपने पात्रों के मानसिक दशाओं, उनके विचारों और भावनाओं को बहुत ही सूक्ष्मता से चित्रित करती हैं। नीलिमा की कहानियों में पात्रों के मनोवैज्ञानिक पहलुओं को समझने के लिए कई बार मनोविज्ञान के सिद्धांतों और अवधारणाओं का उपयोग किया जाता है।
नीलिमा की कहानियों में अक्सर पात्रों के अंतर्द्वंद्व, उनकी भावनात्मक संघर्ष, और उनके निर्णयों के पीछे के कारणों को बहुत ही गहराई से दिखाया जाता है। वह अपने पात्रों को इतनी सावधानी से गढ़ती हैं कि पाठक उनसे जुड़ सकें और उनके द्वारा गुजरने वाली भावनाओं को महसूस कर सकें।
इसके अलावा, नीलिमा की कहानियों में अक्सर समाजिक और सांस्कृतिक मुद्दों को भी उठाया जाता है, जैसे कि लिंग भेदभाव, पारिवारिक संबंध, और व्यक्तिगत स्वतंत्रता। इन मुद्दों को भी मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखा जाता है, जिससे पाठकों को इन मुद्दों को समझने में मदद मिलती है।
कुल मिलाकर, नीलिमा की कहानियों में मनोविज्ञान एक महत्वपूर्ण तत्व है, जो पाठकों को पात्रों के साथ जुड़ने और उनके जीवन को गहराई से समझने में मदद करता है।
नीलिमा शर्मा के द्वारा चार लेखिकाओं के साथ मिलकर लिखे और संपादित साझा उपन्यास हाशिए का हक कोअखिल भारतीय शिक्षाविद् पृथ्वीनाथ भान स्मृति साहित्य सम्मान उपन्यास विधा (राशि 11हजार )भी दिया गया। उपन्यास की सहलेखिकाए जया आनंद , गीता दिवेदी, रंजना जायसवाल भी इस पुरस्कार में सहभागी रही।
नीलिमा शर्मा ने यह उपन्यास तीन अन्य लेखिकाओं के साथ मिलकर लिखा है। इससे पूर्व नीलिमा शर्मा जी “आईना सच नहीं बोलता”नाम से एक साझा उपन्यास लिख चुकी है। यह हिंदी डिजिटल साहित्य का पहला साझा उपन्यास है जिसे अलग अलग शहर की तेरह महिला लेखिकाओं ने मिलकर लिखा है।
नीलिमा ने अब तक खुसरो दरिया प्रेम का, मृगतृष्णा, लुकाछिपी, मुट्ठी भर अक्षर,तन पिंजरा मन बांवरा,पुरवाई कथा माला भाग एक,भाग दो,का संपादन सहलेखन भी किया है। इन प्रतियोगिताओं की मुख्य निर्णायक नीलिमा टिक्कू रही। सहयोगी निर्णायक वरिष्ठ साहित्यकार चंद्रकांता और डॉक्टर नरेंद्र शर्मा कुसुम रहे। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि ममता कालिया, श्रीमति प्रो लाड़ कुमारी जैन,नंद भारद्वाज,प्रो सुदेश बत्रा, प्रो नरेंद्र शर्मा,प्रो प्रबोध गोविल, राजेंद्र मोहन शर्मा थे।
नीलिमा शर्मा का लेखन वाकई में सराहनीय है। उनके कविता संग्रह “शनिवार के इंतजार में” ने पाठकों के बीच खासा लोकप्रियता हासिल की है। उनके आगामी लघुकथा संग्रह, कहानी संग्रह, और उपन्यास की प्रतीक्षा भी उत्सुकता से की जा रही है।