मुजफ्फरनगर। देशभर में चर्चा का विषय बने मुज़फ्फरनगर के खुब्बापुर काण्ड में लगातार ड्रामेबाजी चल रही है। सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये के बाद भी ज़िले में अफसर पीड़ित बच्चे को कोई न्याय नहीं दिला रहे है और केवल दिखाने के लिए खानापुरी की जा रही है। कुछ दिन पहले बेसिक शिक्षा अधिकारी पीड़ित बच्चे का नगर के शारदेन स्कूल में एडमिशन कराये जाने की जानकारी दे रहे थे लेकिन अब पीडि़त छात्र के शारदेन स्कूल में प्रवेश का मामला भी उलझता दिख रहा है। स्कूल ने बच्चे का वैक्सीनेशन कार्ड और टीसी मांगी है। दोनों ही प्रमाण पत्र पीडि़त के पास नहीं है। सुप्रीमकोर्ट के सख्त रवैये के बाबजूद न तो मुज़फ्फरनगर के अफसरों को कोई चिंता नज़र आ रही है और शारदेन स्कूल भी सुप्रीमकोर्ट को बहुत हल्के में लेता नज़र आ रहा है।
बताया जाता है कि बीएसए शुभम शुक्ला पीड़ित छात्र के पिता को लेकर स्कूल पहुंचे, लेकिन प्रवेश की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है। कक्षा दो में प्रवेश दिलाए जाने की तैयारी चल रही थी। पीडि़त छात्र के पिता शुक्रवार को फिर स्कूल पहुंचे। उन्होंने बताया कि स्कूल की औपचारिकताएं पूरी नहीं हो पा रही हैं। बार-बार उनसे अलग-अलग कागज मांगे जा रहे हैं। बीएसए और स्कूल प्रबंधन ने अलग से बात की है, उनके सामने बात नहीं हुई, लेकिन अभी तक प्रवेश नहीं हुआ है।
गौरतलब है कि पीडि़त छात्र के मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। अगले माह 11 दिसंबर को फिर सुनवाई की तिथि तय है। दीपावली से पहले सुनवाई के दौरान छात्र का प्रवेश नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा विभाग को फटकार लगाई थी उसके बाबजूद भी पीड़ित छात्र की शिक्षा पर अभी भी संकट है। स्कूल की फीस को अगर निशुल्क कर भी दिया जाए, तो फिर परिवहन व्यवस्था नई मुसीबत खड़ी करेगी। स्कूल से गांव की दूरी करीब 25 किमी है। यही नहीं सीधी कोई बस या परिवहन सेवा नहीं है। ऐसे में सवाल है कि आखिर बच्चा रोजाना शारदेन स्कूल तक कैसे पहुंचेंगा। उसके परिवहन का इंतजाम कौन करेगा और सुरक्षा के लिए क्या व्यवस्था की जाएगी।
आपको याद होगा कि खुब्बापुर गांव के स्कूल में शिक्षिका तृप्ता त्यागी ने पांच का पहाड़ा नहीं सुनाने पर अल्पसंख्यक समुदाय के छात्र की सहपाठियों से पिटाई करा दी थी। इसी दौरान जातीय टिप्पणी का भी आरोप है। प्रकरण के दौरान पीडि़त छात्र के चचेरे भाई ने वीडियो बना लिया था। वीडियो के वायरल होते ही प्रतिक्रियाएं आने लगीं और शिक्षिका को गिरफ्तार करने की मांग उठने लगी थी । आरोपी शिक्षिका पर अब एफआईआर भी दर्ज हो गई है लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
खुब्बापुर गांव के पीड़ित छात्र का भी अभी तक किसी स्कूल में प्रवेश नहीं हो सका है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पोते तुषार गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिसका सुनवाई 11 दिसंबर को होगी लेकिन मुज़फ्फरनगर के अफसरों और शारदेन स्कूल को भी सुप्रीमकोर्ट का कोई भय नहीं है और बार बार बच्चे के एडमिशन को किसी न किसी बहाने टाला जा रहा है।