आजकल शेयर मार्किट की गिरावट लगातार जारी है। पहले के दौर की बात होती तो बात अलग थी लेकिन आज का दौर थोड़ा अलग है। आज शेयर मार्किट में रिटेल इन्वेस्टर ज्यादा हैं और ये रिटेल इन्वेस्टर और कोई नहीं, भारत के युवा आम नागरिक हैं। भू-राजनैतिक परिस्थितियों, ट्रम्प और एलन मस्क के प्रतिदिन के ऐलानिया बयान और एक्शन से प्रतिदिन शेयर बाजार हिचकोले खा रहा है। स्थिति ये आ गई है कि मार्किट 85,000 के बिंदु से गिरकर 73,000 के आसपास आ
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गया है। इसमें करोड़ों रिटेल इन्वेस्टर की गाढ़ी मेहनत की कमाई फंसी हुई है। डिजिटल इंडिया के इस दौर में सबके हाथ में स्मार्टफोन और इसमें एक क्लिक से शेयर मार्किट में निवेश के मौके ने करोड़ों गांव के युवाओं को इससे जोड़ दिया और जब शेयर मार्किट में हाहाकार मचा हुआ है, डर है कि कहीं यह हाहाकार अगर नीचे तक पहुंच गया तो स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण हो सकती है।
चूंकि भारत की इकॉनमी, ग्रोथ रेट, जीडीपी सब अच्छा जा रहा है। कंपनियों के फंडामेंटल भी ठीक हैं जिनके शेयरों के दाम एकदम से नीचे जा रहे हैं। ऐसे में सरकार को हस्तक्षेप कर लीड लेने की जरुरत है। शेयर मार्किट में आजकल सेंटीमेंट्स का ही ज्यादातर बोलबाला है। सरकार को, और खासकर वित्त मंत्री को, आगे आकर एक बयान देकर इस माध्यम से बाजार में सेंटीमेंट्स को ठीक करना चाहिए। सेंटीमेंट्स की लड़ाई सेंटीमेंट्स से ही लड़ी जा सकती है.
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फंडामेंटल तो देश के और कंपनियों के वैसे भी ठीक हैं। इस सेंटीमेंट्स बनाम सेंटीमेंट्स की लड़ाई में अगर सरकार लीड लेकर स्थिति साफ़ कर भारत और कॉर्पोरेट इंडिया के हेल्थ कार्ड पर एक सकारात्मक बयान जारी करती है तो हम अनहोनी के संभावित भगदड़ से बच सकते हैं। इसे करने में कोई बुराई नहीं है, क्योंकि लॉन्ग रन में सबको मालूम है कि भारत और कॉर्पोरेट का भविष्य अच्छा है और शेयर की वैल्यू बढ़ेगी ही बढ़ेगी। यह छोटा और बुरा दौर है, और इस दौर में हौसला टूटने से पहले हौसला आफजाई जरुरी है। यह हौसला आफजाई ही लोगों को फायदा पहुंचा सकता है।
शेयर मार्किट में गिरावट के कई कारण होते हैं. शेयर मार्किट में गिरावट के कई कारण हैं लेकिन आजकल डिजिटल होने के कारण और सूचनाओं के सेकंडों में त्वरित प्रवाह के कारण सेंटीमेंट्स और बयान इसके पीछे बड़ा रोल पैदा कर रहें हैं. इसका फायदा भी शातिर लोग उठाते हैं. बयान से शेयर मार्किट को गिराकर शेयर खरीद लेते हैं. इन सेंटीमेंट्स के कई कारणों में एक कारण है भू-राजनैतिक परिस्थितियों का असर, दुनिया भर में चल रहे राजनैतिक उथल-पुथल, युद्ध, और
आर्थिक प्रतिबंधों का सीधा असर। दूसरा कारण है बड़े निवेशकों और कंपनियों के बयान और कार्य। एलन मस्क और डोनाल्ड ट्रम्प जैसे लोगों के बयानों से शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव आता है। तीसरा कारण है रिटेल इन्वेस्टर की बढ़ती संख्या। पहले शेयर बाजार में केवल बड़े निवेशक और संस्थाएं ही निवेश करती थीं, लेकिन आजकल हर आम आदमी शेयर बाजार में निवेश कर रहा है। इससे बाजार में अस्थिरता बढ़ गई है।
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रिटेल इन्वेस्टर्स की संख्या अब शेयर बाजार में बढ़ती जा रही है। डिजिटल इंडिया के इस दौर में स्मार्टफोन और इंटरनेट की सुविधा ने हर आम आदमी को शेयर बाजार से जोड़ दिया है। अब गांव के युवा भी शेयर बाजार में निवेश कर रहे हैं। यह एक अच्छी बात है, लेकिन इसके साथ ही इसके कुछ नुकसान भी हैं। रिटेल इन्वेस्टर्स के पास ज्यादा जानकारी और अनुभव नहीं होता है, जिससे वे जल्दबाजी में निर्णय लेते हैं और बाजार में अस्थिरता पैदा करते हैं। इसलिए, रिटेल इन्वेस्टर्स को शेयर बाजार के बारे में ज्यादा जानकारी और शिक्षा की जरुरत है।
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शेयर बाजार में गिरावट को रोकने के लिए सरकार की भूमिका अहम है। सरकार को चाहिए कि वह बाजार में सकारात्मक सेंटीमेंट्स पैदा करे। वित्त मंत्री को आगे आकर एक बयान देना चाहिए जिससे निवेशकों का विश्वास बढ़े। सरकार को आगे आकर यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि कंपनियों के फंडामेंटल मजबूत हैं और उनके शेयरों की वैल्यू बढ़ेगी। सरकार को निवेशकों को शिक्षित करने के लिए भी कदम उठाने चाहिए। इससे निवेशकों को शेयर बाजार के बारे में ज्यादा जानकारी मिलेगी और वे सही निर्णय ले सकेंगे।
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सरकार को यह भी बयान देना चाहिए कि भारत की आर्थिक स्थिति अच्छी है। शेयर मार्किट के गिरावट को ध्यान में रखते हुए देश का आर्थिक विज़न पेश करना चाहिए। बताना चाहिए कि देश की जीडीपी ग्रोथ रेट, इकॉनमी, और कॉर्पोरेट सेक्टर सब मजबूत हैं। कंपनियों के फंडामेंटल भी ठीक हैं। इसलिए, शेयर बाजार में गिरावट एक अस्थायी घटना है। लॉन्ग रन में शेयर बाजार में वृद्धि होगी। निवेशकों को भी धैर्य रखना चाहिए और अपने निवेश पर विश्वास रखना चाहिए। सरकार को भी निवेशकों का विश्वास बढ़ाने के लिए कदम उठाने चाहिए।
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मेरा मत है कि भले ही शेयर बाजार में गिरावट एक चिंता का विषय है लेकिन यह एक अस्थायी और छोटे दौर की घटना है। भारत की आर्थिक स्थिति मजबूत है और कंपनियों के फंडामेंटल भी ठीक हैं। जैसा कि ऊपर बताया गया, सरकार को चाहिए कि वह ड्राइविंग सीट पर बैठे और बाजार में सकारात्मक सेंटीमेंट्स पैदा करे और निवेशकों का विश्वास बढ़ाए। रिटेल इन्वेस्टर को भी शेयर बाजार के बारे में ज्यादा जानकारी और शिक्षा बढ़ायें। अगर सरकार और निवेशक मिलकर काम करें तो शेयर बाजार में स्थिरता लाई जा सकती है और अनहोनी के संभावित भगदड़ से बचा जा सकता है।
पंकज गांधी जायसवाल