नई दिल्ली। भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने मोदी सरकार की आर्थिक उपलब्धियों का जिक्र करते हुए विरोधी दलों पर अर्थव्यवस्था को लेकर झूठे आंकड़े प्रस्तुत करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि अर्थव्यवस्था पर झूठे आंकड़े प्रस्तुत करने वाले और कयामत की भविष्यवाणी करने वाले अर्थशास्त्री और कुछ राजनेता लगातार गलत साबित हो रहे हैं।
भाजपा राष्ट्रीय मुख्यालय में पत्रकारों से बात करते हुए गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने कहा कि 2014 में सत्ता में आने के वक्त भारत की अर्थव्यवस्था ट्विन बैलेंस शीट की समस्या का सामना कर रही थी, बैंक बेहद कमजोर थे और कॉपोर्रेट क्षेत्र अत्यधिक कर्जदार था और कर्ज चुकाने की स्थिति में नहीं था। लेकिन मोदी सरकार की कई पहलों के कारण, अर्थव्यवस्था में वृद्धि हुई है और बैंकिंग क्षेत्र मजबूत हुआ है। बैंकिंग क्षेत्र में एनपीए समाधान, आईबीसी, पूंजी निवेश जैसे कई सुधार हुए। उन्होंने दावा किया कि मोदी सरकार की नीतियों के कारण आज देश में मुद्रास्फीति नियंत्रण में है, अर्थव्यवस्था मंदी से बाहर है और राजकोषीय समेकन सुचारू और अनुमानित पथ पर है। सफल आर्थिक प्रबंधन का प्रमाण यह है कि भारत आर्थिक मोर्चे पर मजबूती से आगे बढ़ रहा है जबकि हमारे पड़ोसी देश जैसे श्रीलंका फेल हो गया, बांग्लादेश आईएमएफ से मदद मांग रहा है और पाकिस्तान बबार्दी के कगार पर है।
भाजपा प्रवक्ता ने दावा किया कि आरबीआई और अन्य मंत्रालय द्वारा उठाए गए कदमों और राजकोषीय प्रोत्साहन पैकेज-आत्मनिर्भर भारत पैकेज जैसे दूरगामी परिणाम वाले कदमों ने भारतीय अर्थव्यवस्था को कोविड के बाद उबरने और मुद्रास्फीति, मंदी और राजकोषीय घाटे का प्रबंधन करने में मदद की है। मोदी सरकार के कार्यकाल में जीएसटी, ई मूल्यांकन, डीबीटी, वित्तीय समावेशन, आईबीसी, पीएलआई, फिनटेक, यूपीआई, डिजिटल इंडिया और ऑडिट ट्रेल जैसे आर्थिक और नीतिगत सुधारों के कारण आने वाले दशकों में भारत आर्थिक गतिविधि का प्रमुख केंद्र होगा और भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करेगा।
अग्रवाल ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका अभूतपूर्व मुद्रास्फीति का सामना कर रहा है, जो पिछले 40 वर्षों के इतिहास में नहीं देखी गई। यूरोप में एक के बाद एक देश मंदी की चपेट में हैं. चाहे वह इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस आदि हों और यहां तक कि चीन भी कोविड-19 के दौरान लॉकडाउन से मिले सदमे से बाहर नहीं आ पाया है। जबकि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है, जो सबसे अधिक एफडीआई आकर्षित कर रहा है। अमेरिका और यूरोप में एक के बाद एक बैंक विफल हो रहे हैं और दिवालियेपन की ओर बढ़ रहे हैं। वहां केंद्रीय बैंकों के पास स्थिति से निपटने के लिए कोई रोड मैप नहीं है। उनके पास संकट की निगरानी के लिए संस्थागत क्षमता की कमी है। जबकि मोदी सरकार और केंद्रीय संस्थाओं ने महामारी की समस्या को बेहतरीन तरीके से निपटाया है।
भाजपा प्रवक्ता ने प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में भारतीय अर्थव्यवस्था के वैश्विक आर्थिक विकास के इंजन बनने का दावा करते हुए कहा कि भारतीय सकल घरेलू उत्पाद 5 ट्रिलियन अमेरिकी डालर की ओर तीव्र गति से बढ़ रहा है। देश में मुद्रास्फीति – दोहरे अंक से भी कम 5 प्रतिशत से कम पर आ गया है। खुदरा मुद्रास्फीति 4.25 प्रतिशत और खाद्य मुद्रास्फीति केवल 2.91 प्रतिशत पर है। वैश्विक अर्थव्यवस्था में विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारतीय सकल घरेलू उत्पाद की विकास दर 7.2 प्रतिशत है। आरबीआई की रिपोर्ट के अनुसार औसत शुद्ध जीएसटी दर में 11.6 प्रतिशत की कमी के बावजूद अप्रैल महीने में जीएसटी संग्रह 1.87 लाख करोड़ रुपये रहा । कॉरपोरेट टैक्स में कमी और व्यक्तिगत कर में अधिक छूट के बावजूद वर्ष 2022-23 में प्रत्यक्ष कर संग्रह – 16.68 लाख करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष के अनुपात में 17.63 प्रतिशत अधिक है। उन्होंने आगे कहा कि इंफ्रास्ट्रक्च र खर्च बढ़कर – जीडीपी का 3.3 प्रतिशत हो गया है। वर्ष 21-22 में एफडीआई 84.8 बिलियन अमेरिकी डालर रहा है। 2022-23 में निर्यात 770 बिलियन अमेरिकी डालर को पार कर गया है। 115 यूनिकॉर्न के साथ तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम भारत में है।