नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने प्रवर्तन निदेशालय के प्रमुख संजय कुमार मिश्रा का कार्यकाल तीसरी बार बढ़ाये जाने का सुप्रीम कोर्ट में बचाव किया। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ऐसा इस वर्ष वित्तीय कार्रवाई कार्यबल की समीक्षा के बाद किया गया था। केंद्र ने यह भी कहा कि मिश्रा इस वर्ष नवंबर में रिटायर हो जाएंगे।
जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने सोमवार को मिश्रा को तीसरी बार सेवा विस्तार दिये जाने और ईडी निदेशक का कार्यकाल पांच साल बढ़ाये जाने संबंधी संशोधन को चुनौती देने वाली विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई पूरी कर ली। अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है।
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, ‘‘यह अधिकारी किसी राज्य के डीजीपी (पुलिस महानिदेशक) नहीं हैं, बल्कि एक ऐसे अधिकारी हैं जो संयुक्त राष्ट्र में भी देश का प्रतिनिधित्व करते हैं। इस अदालत को उनके कार्यकाल के मामले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। (वैसे भी) वह नवम्बर के बाद उस पद पर नहीं होंगे।
मेहता ने कहा, ‘‘वह धन शोधन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जांच की निगरानी कर रहे हैं और (निदेशक) पद पर उनका बना रहना देशहित में जरूरी था। इन्हें नवम्बर 2023 के बाद सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा। सॉलिसिटर जनरल की यह दलील सुनने के बाद पीठ ने पूछा कि क्या स्थिति ऐसी ही है कि किसी एक आदमी के विभाग से हट जाने के बाद पूरा प्रवर्तन निदेशालय निष्प्रभावी हो जाएगा ?
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने हालांकि इसका जवाब ‘न में दिया, लेकिन यह भी कहा कि नेतृत्व भी मायने रखता है। उन्होंने कहा, ‘‘ईडी निदेशक की नियुक्ति बहुत ही कठिन प्रक्रिया है। आईएएस, आईपीएस, आईआरएस आदि अधिकारियों के साझा पूल से एक व्यक्ति का चयन किया जाता है। वह व्यक्ति अतिरिक्त मुख्य सचिव के रैंक में होता है।