नई दिल्ली। चुनाव आयोग को अब तक भुनाए गए चुनावी बांड के विवरण का खुलासा 6 मार्च तक करने के सर्वोच्च न्यायालय के आदेश की “जानबूझकर अवज्ञा करने” के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के खिलाफ एक अवमानना याचिका दायर की गई है।
गैर-सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर अवमानना याचिका में कहा गया है कि 30 जून तक समय बढ़ाने की मांग करने वाला एसबीआई का आवेदन दुर्भावनापूर्ण है और संविधान पीठ द्वारा पारित फैसले की जानबूझकर अवज्ञा को दर्शाता है।
शीर्ष अदालत द्वारा निर्धारित समय सीमा समाप्त होने से दो दिन पहले दायर अपने आवेदन में एसबीआई ने कहा कि चुनावी बांड की “डिकोडिंग” और दानकर्ता का दान से मिलान एक जटिल और समय लगने वाली प्रक्रिया है। इस काम को पूरा करने के लिए तीन सप्ताह का समय पर्याप्त नहीं होंगा।
याचिकाकर्ता एडीआर की ओर से पेश वकील प्रशांत भूषण ने गुरुवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ से अनुरोध किया कि समय विस्तार की मांग करने वाले एसबीआई आवेदन के साथ अवमानना याचिका को सूचीबद्ध किया जाए, जिस पर संभावित रूप से 11 मार्च को सुनवाई होनी है।
इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘जैसे ही औपचारिकताएं पूरी हो जाएं, अपने कनिष्ठ को रजिस्ट्री को एक ईमेल भेजने के लिए कहें। मैं ईमेल पर आदेश पारित करूंगा।”
पाँच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को वर्ष 2018 में शुरू की गई चुनावी बांड योजना को असंवैधानिक करार दिया और एसबीआई को तत्काल इन्हें जारी करने से रोकने का आदेश दिया।
इसने एसबीआई को अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी बांड का विवरण (जैसे खरीद की तारीख, खरीददार का नाम और राशि आदि) 6 मार्च तक चुनाव आयोग की आधिकारिक वेबसाइट पर प्रकाशन के लिए जमा करने के लिए कहा था।
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था, “एसबीआई को राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए प्रत्येक चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करना होगा जिसमें भुनाने की तारीख और चुनावी बांड का मूल्य शामिल होगा। एसबीआई इस फैसले की तारीख से तीन सप्ताह के भीतर यानि 6 मार्च 2024 तक उपरोक्त जानकारी चुनाव आयोग को सौंपेगा।”