नई दिल्ली | दिल्ली के पूर्व आबकारी आयुक्त अरवा गोपी कृष्ण ने कहा है कि दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कथित तौर पर इंडोस्पिरिट को एल-1 लाइसेंस देने के लिए उन पर दबाव डाला था, जबकि उन्हें पता था कि इंडोस्पिरिट के खिलाफ कार्टेलाइजेशन और ब्लैकलिस्टिंग की शिकायतें लंबित हैं। एक सूत्र ने बताया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले के संबंध में दायर दूसरी पूरक चार्जशीट में इस तथ्य का उल्लेख किया है।
अरवा गोपी कृष्णन ने अपने बयान में सिसोदिया पर इंडोस्पिरिट के दूसरे आवेदन पर एल-1 होलसेल लाइसेंस जारी करने के सख्त निर्देश देने का आरोप लगाया है। कृष्णन ने अपने बयान में आरोप लगाया कि जब उन्होंने सिसोदिया को बताया कि इंडोस्पिरिट्स के काटेर्लाइजेशन और ब्लैक लिस्टिंग के खिलाफ शिकायतें लंबित हैं, तो उन्हें फिर से इंडोस्पिरिट की मदद करने के लिए सख्ती से निर्देशित किया गया।
सीबीआई ने उल्लेख किया है कि सिसोदिया स्पष्ट रूप से जानते थे कि इंडोस्पिरिट के भागीदारों ने पहले आवेदन में उठाई गई आपत्तियों से बचने के लिए दूसरा आवेदन प्रस्तुत किया था। सूत्र ने कहा कि सिसोदिया ये सब जानने के बावजूद फर्म की मदद कर रहे थे।
सीबीआई ने चार्जशीट में आरोप लगाया है कि मनीष सिसोदिया के सचिव सी. अरविंद ने सीबीआई अधिकारियों को बताया कि सिसोदिया के निर्देश के अनुसार, उन्होंने अरवा गोपी कृष्ण के साथ इंडोस्पिरिट को एल-1 लाइसेंस जारी करने के मामले को आगे बढ़ाया।
सीबीआई ने पहले चार्जशीट में दावा किया था कि 29.29 करोड़ रुपये की अवैध कमाई इंडोस्पिरिट के जरिए साउथ ग्रुप के सदस्यों को ट्रांसफर की गई थी। सीबीआई ने इस पैसे को रिश्वत बताया।