हरिद्वार। देश में नए फार्मा हब के तौर पर उभर रहे उत्तराखंड की छवि को फर्जी दवाई बनाने वाली कंपनियां बट्टा लगाने का काम कर रही है। हरिद्वार में इस समय 15 से 20 फर्जी दवा बनाने वाली कंपनियां सक्रिय है। जिनकी दवाओं के सैंपल लगातार फेल हो रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इन कंपनियों का पता तो हरिद्वार का है, लेकिन यहां उस पते पर कोई दवा नहीं बनाई जा रही।
केंद्रीय संस्था सीडीएसओ देश भर में हर महीने विभिन्न दवाओं के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजती है और फिर उनकी रिपोर्ट जारी करती है। फर्जी दवा कंपनियों का मामला तब बाहर आया जब दवा के सैंपल फेल होने के बाद ड्रग्स विभाग पर कार्यवाही के लिए सीडीएसओ ने संज्ञान लिया। एनटीआर नाम की इस कंपनी पर कार्यवाही के लिए उत्तर प्रदेश ड्रग्स विभाग ने पत्र लिखा था।जिसका पता प्लॉट नंबर 106, सेक्टर एए6, आईआईटी रुड़की, हरिद्वार दिखाया गया है।लेकिन जांच में कंपनी का पता फर्जी पाया गया।
इससे पहले नवंबर में तेलंगाना ड्रग्स विभाग भी एक कंपनी पर नकली दवा बनाने के आरोप में कई लोगों की गिरफ्तारी कर चुकी है। जो कुरियर से दवाएं सप्लाई करते थे।इस कंपनी का पता भी हरिद्वार में गीनाक फार्मा, प्लॉट नंबर 582, रायपुर, भगवानपुर, रूड़की, उत्तराखंड 247667, दिखाया गया था। जो सही नहीं पाया गया।
इस संबंध में हरिद्वार ड्रग्स इंस्पेक्टर अनीता भारती का कहना है कि अब तक 15 से 20 ऐसी कंपनियों पर कार्यवाही के लिए और तस्दीक करने लिए पत्र आ चुका है लेकिन ये कंपनियां धरातल पर है ही नहीं। उनका कहना है कि इनकी वजह से उत्तराखंड बदनाम हो रहा है।उत्तराखंड ड्रग्स कंट्रोलर ताजभर जग्गी ने बताया कि विभाग ने पिछले दो साल में इस तरह के मामलों में दो दर्जन से भी अधिक व्यक्तियोंको के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की है।
उन्होंने बताया कि फर्जी दवा बन रही कंपनियां पर कार्रवाई के लिए दूसरे राज्यों के ड्रग्स कंट्रोलर से भी मदद मांगी गई है।