Sunday, December 22, 2024

10 फरवरी की महापंचायत के बाद भी जारी रह सकता है किसान आंदोलन, महिलाओं ने भी संभाला मौर्चा

मुजफ्फरनगर। जिले के जीआईसी मैदान में चल रहे किसानों के अनिश्चितकालीन आंदोलन में अब नया मोड़ आ गया है। आगामी 10 फरवरी को चौधरी राकेश टिकैत ने एक बड़ी महापंचायत का ऐलान किया है जिसमें मुजफ्फरनगर जिले से लगने वाली सीमाओं के किसान आएंगे। किसान आंदोलन में महिलाओं ने भी मौर्चा संभाल लिया है और अब किसान सरकार से आर-पार की लड़ाई को पूरी तरह से तैयार है। किसानों का कहना है जब तक हमारी मांगों को पूरा नहीं किया जाएगा यह आंदोलन जारी रहेगा।

वहीं किसान आंदोलन में किसानों का भाईचारा भी देखने को मिल रहा है। राजकीय कॉलेज के मैदान में चल रहे भारतीय किसान यूनियन के अनिश्चित कालीन धरने में खाने-पीने (भंडारे )की व्यवस्था को अशोक घटायन बहुत सादगी, स्वच्छता और जिम्मेदारी के साथ निभा रहे हैं। अशोक घटायन के साथ प्रमोद अहलावत,जोगिंदर पहलवान, मनोज बालियान,कंवरपाल भैसी की टीम 28 जनवरी से राजकीय कॉलेज के मैदान में भंडारे की जिम्मेदारी संभाल रही है और सभी लोगों ने संकल्प लिया है कि जब तक सरकार किसानों की मांगे नहीं मान लेती तब तक वे रात दिन भंडारे में सेवा और जिम्मेदारी को निभाते रहेंगे। अशोक घटायन ने बताया कि प्रतिदिन हजारों की संख्या में लोग भोजन(प्रसाद)ग्रहण कर रहे हैं।

किसान यूनियन के मीडिया प्रभारी शक्ति चौधरी ने बताया कि 10 फरवरी के बाद भी आंदोलन चल सकता है। यूनियन के महानगर अध्यक्ष गुलबहार राव का कहना है कि आंदोलन 2 साल भी चल सकता है। सहारनपुर के जिलाध्यक्ष चौधरी राजपाल सिंह ने कहा कि यह आंदोलन लंबा चलेगा क्योंकि इसमें कई मांगे बढ़ चुकी है।

सहारनपुर महासचिव चौधरी अशोक कुमार ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों की वजह से किसानों को आंदोलन करना पड़ रहा है। और सहारनपुर से 5-10 हजार किसान महापंचायत में पहुंचेंगे। 28 जनवरी से लगातार महिला विंग की जिला अध्यक्ष सोनिया सैनी भी किसानों के बीच में डटी हुई है। उनका कहना है कि आगामी 10 फरवरी को 50 परसेंट महिलाएं अपनी समस्याओं के साथ महापंचायत में पहुंचेगी।

मेरठ के युवा जिलाध्यक्ष अनुराग चौधरी का मत है कि यदि सरकार पंचायत के दौरान सभी मांगे मान लेती है तो यह आंदोलन स्थगित हो सकता है अन्यथा आंदोलन यथावत चलता रहेगा।

भारतीय किसान यूनियन के संस्थापक सदस्य विजयपाल घोपला ने मौजूदा सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने किसानों से वादा किया था कि बिजली मुफ्त दी जाएगी लेकिन अब किसानों से बिल के नाम पर पैसे वसूले जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई किसान की ही नहीं है यह लड़ाई गरीब की मजदूर की है। उन्होंने ऐलान करते हुए कहा कि यह लड़ाई आर-पार की होगी। पहले तो माफी मांग कर और वादों पर छोड़ दिया गया था लेकिन इस बार नहीं छोड़ेंगे।

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