लखनऊ । उत्तर प्रदेश में उपचुनाव की आहट के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सहयोगी दलों ने अपनी दावेदारी पेश करनी शुरु कर दी है। जिसमें निषाद पार्टी, राष्ट्रीय लोक दल दो-दो सीटें, तो अपना दल सोनेलाल एवं सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी एक-एक सीटें मांग रही है।
मिर्जापुर जनपद की मझवां सीट पर उपचुनाव होना है। विनोद कुमार बिंद निषाद पार्टी के चुनाव चिन्ह पर विधानसभा का चुनाव लड़े थे और विधायक हुए थे। यह सीट विनोद बिंद के भदोही से लोकसभा चुनाव लड़कर जीतने से खाली हुई है। यही कारण है कि निषाद पार्टी अपनी पहली सीट के रुप में मझवां सीट मांग रही है।
मझवां की भांति ही कटेहरी विधानसभा सीट भी निषाद पार्टी मांग रही है। निषाद पार्टी पिछले चुनाव में यहां मात्र सात हजार छह सौ मतों से हारी थी। निषाद पार्टी का दावा है कि इस बार कटेहरी सीट जीतकर निषाद पार्टी एनडीए गठबंधन के खाते में लायेगी। इस सीट से समाजवादी पार्टी के लालजी वर्मा विधायक रहें और अभी वह अम्बेडकर नगर लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद हो गये हैं।
मिल्कीपुर सुरक्षित सीट पर पिछले विधानसभा में भाजपा के सिम्बल पर बाबा गोरखनाथ लड़े थे और समाजवादी पार्टी के अवधेश प्रसाद से तेरह हजार मतों से हार गये थे। फिलहाल विधायक अवधेश के फैजाबाद लोकसभा सीट से सांसद बनने के बाद यह सीट खाली हो गयी है। इस सीट पर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी दांव लगाना चाहती है। पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर मिल्कीपुर सीट पर अवधेश प्रसाद की सत्ता को चुनौती देना चाहते हैं।
राष्ट्रीय लोकदल की पहली पसंद खैर विधानसभा सीट है। यहां से भाजपा के विधायक अनूप प्रधान अब लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद हो गये हैं। अनूप प्रधान के हाथरस लोकसभा सीट पर सांसद बनने के बाद खैर विधानसभा खाली हो गयी है। वहीं मीरापुर विधानसभा सीट पहले से ही राष्ट्रीय लोकदल की सीट रही है। इस सीट से चंदन चौहान विधायक रहें और अभी बिजनौर लोकसभा से चुनाव जीतकर सांसद बन चुके हैं। दोनों सीटों पर राष्ट्रीय लोकदल अपनी पकड़ बनाये हुए हैं।
अपना दल सोनेलाल की अध्यक्ष व केन्द्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की वार्ता भाजपा के प्रमुख नेताओं से उपचुनाव को लेकर हुई है। मिर्जापुर में अपना दल सोनेलाल पार्टी की अच्छी पकड़ हैं, ऐसे में मझवां सीट अपना दल सोनेलाल की पहली पसंद है। वैसे चर्चा यह भी है कि कानपुर की सीसामऊ विधानसभा सीट पर भी अपना दल सोनेलाल ने दावेदारी की है। इस सीट पर पिछला चुनाव भाजपा लड़ी थी और मात्र बारह हजार मतों से हारी थी।