मुजफ्फरनगर। जिले की एक अदालत ने आचार संहिता उल्लंघन के मामले में सुनवाई करते हुए भाजपा नेता व पूर्व विधायक उमेश मलिक को राहत दे दी है। कोर्ट ने पूर्व विधायक को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। जबकि मुकदमें के एक सह आरोपी पहले ही अपना गुनाह कबूल कर मामले में 300 रुपए का जुर्माना भुगत चुके हैं।
विधानसभा चुनाव 2012 के दौरान बुढ़ाना सीट से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़े उमेश मलिक पर आचार संहिता उल्लंघन का मुकदमा दर्ज किया गया था। बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता श्यामवीर एडवोकेट ने बताया कि बुढ़ाना सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे उमेश मलिक के विरुद्ध थाना शाहपुर प्रभारी निरीक्षक एसएस चौधरी ने आचार संहिता उल्लंघन का मुकदमा दर्ज कराया था।
उन्होंने बताया कि 5 फरवरी 2012 को पुलिस ने उमेश मलिक के शाहपुर कस्बे में मोहल्ला सैनीयान स्थित चुनावी कार्यालय पर छापेमारी की थी। जिसके बाद मकान मालिक मास्टर सतपाल सिंह और पूर्व विधायक उमेश मलिक के विरुद्ध आईपीसी की धारा 123, 127 जनप्रतिनिधित्व अधिनियम और 171 एच के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया था। आरोप था कि भाजपा प्रत्याशी के चुनावी कार्यालय से बिना अनुमति तैयार कराई गई प्रचार सामग्री और डिस्पोजेबल क्रोकरी बरामद हुई थी।
उन्होंने बताया कि घटना के मुकदमे की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिविजन मयंक जायसवाल की कोर्ट में हुई। विशेष एमपी एमएलए कोर्ट ने सुनवाई उपरांत साक्ष्य के अभाव में पूर्व विधायक उमेश मलिक को बरी कर दिया।