वाराणसी। सुरक्षा व्यवस्था के अभेद किलेबंदी के बीच लगातार दूसरे दिन शनिवार को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की टीम ने सर्वे की प्रक्रिया को पूरा किया। सर्वे के दौरान प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष भी मौजूद रहा। सर्वे के बीच मस्जिद के तहखाने का ताला केयरटेकर की मौजूदगी में खोला गया। दूसरे दिन एएसआई की टीम ने मैपिंग का काम किया। ज्ञानवापी के तहखाने में भी वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की गई। थ्रीडी इमेजिंग भी की गई।
सर्वे में एएसआई की चार टीमों ने हिस्सा लिया। चार टीमों ने ज्ञानवापी हॉल, पश्चिम दीवार, बाहरी दीवार का कोना-कोना देखा इसका माप-जोख भी किया। दीवारों व उसके आसपास से साक्ष्य जुटाए गए। मस्जिद में न्यायालय के निर्देश पर वजूखाने को छोड़कर पूरे परिसर का सर्वे होना है। सर्वे के बाद वादी हिन्दू पक्ष के अधिवक्ता सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि नंदी के सामने जो व्यास जी का तहखाना है, वहां से मूर्तियों के अवशेष मिले हैं। एएसआई वहां बारीकी से सर्वे कर रही है। मुस्लिम पक्ष पूरी तरह से सहयोग कर रहा है। पश्चिमी दीवार को देख और समझ कर सर्वे के लिए विशेषज्ञ की टीम लगी हुई है।
सुधीर त्रिपाठी ने बताया कि यह सर्वेक्षण अधिवक्ता आयुक्त की कमीशन की कार्रवाई से बहुत ही अलग है। इसका स्वरूप व्यापक है और यहां सब कुछ वैज्ञानिक पद्धति से हो रहा है। सर्वे में सहयोग कर रहे मुस्लिम पक्ष ने ही दोनों जगह का ताला खोला। प्रतिवादी मुस्लिम पक्ष का कहना है कि हम जांच में पूरा सहयोग कर रहे हैं। जहां-जहां बोला जा रहा है वहां-वहां ताला खोल रहे हैं।
अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव मोहम्मद यासीन ने कहा कि हम कानूनी प्रक्रिया का इंतजार कर रहे थे। अब जब कोर्ट ने सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है तो हम एएसआई सर्वे में पूरा सहयोग कर रहे हैं। इसके पहले कड़ी सुरक्षा के बीच दूसरे दिन सुबह 8 बजे एएसआई की टीम ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में दाखिल हुई। एएसआई की चार टीमों ने पूरे दिन दो चरणों में सर्वे का काम किया। सर्वे के दौरान ज्ञानवापी परिक्षेत्र में अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है। गोदौलिया चौराहा से बांसफाटक, चौक, बुलानाला होते हुए मैदागिन तक सुबह से शाम तक फोर्स का चक्रमण लगातार जारी रहा। जगह-जगह बैरिकेडिंग के बीच सिर्फ पैदल ही लोगों को आने-जाने की अनुमति थी। काशी विश्वनाथ धाम के गेट नंबर चार के सामने पुलिस और जवानों के साथ ही आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के कमांडो भी मुस्तैद रहे।