नई दिल्ली। जी20 देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों (एफएमसीबीजी) की गुरुवार को वॉशिंगटन में समाप्त दो दिवसीय बैठक में कम और मध्यम-आय वाले कमजोर देशों में बढ़ते ऋण संकट से निपटने के लिए बहुस्तरीय सहयोग बढ़ाने तथा यूक्रेन समेत वैश्विक अर्थव्यवस्था की विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा हुई। सदस्य देशों में क्रिप्टो एसेट्स के लिए वैश्विक नीतिगत प्रतिक्रिया की आवश्यकता पर भी सहमति बनी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 12-13 अप्रैल को हुई बैठक की अध्यक्षता की। उन्होंने मीडियाकर्मियों से कहा कि निम्न और मध्यम आय वाले देशों में विकास से जुड़े कार्यो के लिए धन की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, मध्यम आय वाले देशों में कुछ कम विकसित इलाके हैं, विशेष रूप से महामारी के बाद के युग में, जिन्हें विकास के लिए धन की सख्त जरूरत है।
सीतारमण ने बताया, हम दो प्रमुख चीजों के लिए विश्व बैंक की ओर देख रहे हैं – नितांत गरीबी का उन्मूलन और गरीबी उन्मूलन के बाद समृद्धि लाना। जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए धन मुहैया कराने और हरित ऊर्जा की ओर बढ़ने के लक्ष्यों को अब तीसरा स्तंभ बनाना होगा।
वित्त मंत्री ने कहा क्रिप्टो एसेट्स को विनियमित करने के भारत के प्रस्ताव पर जी20 के ज्यादातर सदस्य स्वीकार करते हैं कि क्रिप्टो एसेट्स पर कोई भी कार्रवाई वैश्विक होनी चाहिए। जी20 और इसके सदस्य सहमत हैं कि क्रिप्टो एसेट्स से निपटना किसी एक देश के लिए संभव नहीं होगा।
उन्होंने कहा कि क्रिप्टो एसेट्स को विनियमित करने के लिए एक समन्वित वैश्विक समझ होनी चाहिए। आईएमएफ के पेपर पर चर्चा की जा रही है और एफएसबी (वित्तीय स्थिरता बोर्ड) के पेपर पर जल्द ही विचार किया जाएगा। आईएमएफ और एफएसबी के पेपरों के आधार पर एक सिंथेसिस पेपर तैयार किया जाएगा।
सीतारमण ने कहा, इस बात पर सर्वसम्मति है कि क्रिप्टो एसेट्स, विशेष रूप से वे जो किसी सरकारी एसेट्स द्वारा समर्थित नहीं हैं, अर्थव्यवस्था में अस्थिरता का कारण बन सकते हैं।
वित्त मंत्री ने मीडियाकर्मियों को बताया कि ग्लोबल सॉवरेन डेट राउंडटेबल के दौरान जहां ऋण संकट से संबंधित मामलों के सभी हितधारक, निजी प्रतिभागी और प्रभावित देश मौजूद थे, ऋण पुनर्गठन के मुद्दे पर सकारात्मक चर्चा हुई।
उन्होंने कहा, जलवायु परिवर्तन रोकने के लिए वित्त पर चर्चा एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ रही है, न केवल वर्तमान उपलब्धता के बारे में बल्कि जलवायु चुनौतियों से निपटने के लिए भविष्य की आवश्यकता पर भी। निजी वित्तपोषण, बदलाव की लागत और प्रौद्योगिकी संबंधी जरूरतों पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
सीतारमण ने कहा कि वित्तीय समावेशन के लिए वैश्विक भागीदारी (जीपीएफआई) के तहत भी जी20 चर्चा में प्रगति हुई है।
सदस्य देशों ने वैश्विक वित्तीय समावेशन और उत्पादकता लाभ के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्च र (डीपीआई) के उपयोग में गहरी रुचि दिखाई। जब हम क्रिप्टो और डीपीआई के बारे में बात कर रहे हैं, तो इसमें सीमा पार भुगतान के मुद्दे भी सम्मिलित हो जाते हैं। सीमा पार भुगतान मुद्दे में वह ताकत है जिस पर जी20 के सभी देश चर्चा करना चाहते हैं।
सीतारमण ने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय कराधान के मुद्दे पर, एफएमसीबीजी बैठक ने एक निष्पक्ष, टिकाऊ और आधुनिक अंतर्राष्ट्रीय कर प्रणाली को बनाने की दिशा में अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों को प्रेरित करने की तत्काल आवश्यकता पर ध्यान केंद्रित किया।