नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को कहा कि 2070 तक देश को कार्बन तटस्थ बनाने के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को हासिल करने के लिए निर्माण क्षेत्र में हरित पहल की जाएगी।
गडकरी ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि परिवहन मंत्रालय सड़क निर्माण में नगर निगम के कचरे का उपयोग करने के लिए नीति को अंतिम रूप दे रहा है। इसके अलावा सरकार जीवाश्म ईंधन का उपयोग नहीं करने के लिए निर्माण उपकरण निर्माताओं को प्रोत्साहन देने पर भी विचार कर रही है।
देश को स्वच्छ और कचरा मुक्त बनाने के लिए चलाए जा रहे स्वच्छता ही सेवा पखवाड़े का उल्लेख करते हुए गडकरी ने कहा कि 13 हजार स्थानों पर राष्ट्रीय राजमार्गों, सड़क किनारे सुविधाओं, ढाबों, टोल प्लाजा पर सफाई अभियान सहित कई कार्यक्रमों की योजना बनाई गई है और लगभग 7000 स्थानों पर काम पूरा हो चुका है।
उन्होंने कहा कि दैनिक आधार पर उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे का निपटान देश भर के शहरी क्षेत्रों में पेश आने वाली प्रमुख पर्यावरणीय चुनौती है। मंत्री ने कहा कि लगभग 10,000 हेक्टेयर भूमि डंप साइटों में बंद है। मंत्रालय राजमार्ग निर्माण में शहरी ठोस कचरे का उपयोग करने के समाधान पर काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी और दूरदर्शी नेतृत्व के माध्यम से कचरे से धन बनाना संभव है।
देश में वैकल्पिक जैव ईंधन के बारे में बात करते हुए गडकरी ने कहा कि वह इथेनॉल अर्थव्यवस्था बनाने के प्रबल समर्थक रहे हैं और कृषि विकास को 6 प्रतिशत तक बढ़ावा देने के लिए इथेनॉल के बड़े पैमाने पर उपयोग पर जोर दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य 2 लाख करोड़ रुपये की इथेनॉल इकोनॉमी बनाना है। दिल्ली में दुनिया के पहले बीएस-6 अनुरूप फ्लेक्स फ्यूल स्ट्रॉन्ग हाइब्रिड वाहन के लॉन्च के साथ फ्लेक्स इंजन 100 प्रतिशत इथेनॉल पर काम करेगा और अर्थव्यवस्था के लिए बचत 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो जाएगी। उन्होंने कहा कि पानीपत में आईओसीएल संयंत्र चावल के भूसे जैसे कृषि अपशिष्ट को इथेनॉल और बायोबिटुमेन में परिवर्तित करता है।
गडकरी ने कहा कि उनके मंत्रालय ने परिवहन क्षेत्र को कार्बन मुक्त करने के लिए कई पहल की हैं और सरकार दिल्ली और जयपुर के बीच इलेक्ट्रिक राजमार्ग विकसित करने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि इलेक्ट्रिक हाइवे वाहनों के लिए इलेक्ट्रिक ट्रैक्शन को उसी तरह से पूरा करते हैं, जैसे रेलवे के लिए किया जाता है। यह स्वीडन और नॉर्वे जैसे देशों में प्रचलित तकनीक पर आधारित है। इसमें बिजली केबलों का प्रावधान शामिल है, जिसका उपयोग ऐसे वाहन द्वारा किया जा सकता है जो इस प्रकार की प्रौद्योगिकी को पूरा करता है। वाहन अपने कर्षण के लिए इस केबल से बिजली का उपयोग करेगा। फिलहाल मंत्रालय विभिन्न तकनीकों का मूल्यांकन कर रहा है।