मेरठ। भारत, सांप्रदायिक एकीकरण और भाईचारे की भूमि वाला जीवंत लोकतंत्र युक्त धर्मनिरपेक्ष देश है। जो धार्मिक आधार पर अपने नागरिकों के साथ भेदभाव नहीं करता है। इसकी ‘गंगा जमुनी तहजीब’ ने हमेशा धार्मिक सहिष्णुता और सांप्रदायिक सद्भाव की दीवार के रूप में काम किया है। भारत का संविधान मुसलमानों को धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देने के अलावा अधिकारों और सुविधाओं की समानता की गारंटी देता है। ये बातें मौलाना शहाबुद्दीन ने एक जलसे में कही।
उन्होंने सुन्नियों की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि भारतीय मुसलमानों ने धार्मिक और संगठनात्मक गतिविधियों में स्वतंत्रता का आनंद लिया है। जो किसी अन्य मुस्लिम या अरब देश में अनुभव नहीं किया गया है। संयुक्त अरब अमीरात के अपने अनुभव बताते हुए मुसलियार ने कहा कि भारत में उनकी संगठनात्मक गतिविधियाँ में कोई बाधा नहीं थी। लेकिन सऊदी अरब, कुवैत या बहरीन जैसे देशों में ऐसी स्वतंत्रता प्रतिबंधित थी। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि भारत में मुसलमानों द्वारा अनुभव की गई धर्म की स्वतंत्रता के पीछे भारतीय संविधान की ताकत का उल्लेख किया।
कार्यक्रम के दौरान, कंथापुरम एपी अबूबकर मुसलिया अहमद ने भी अपने विचार रखे।
जामिया मरकज के चांसलर और भारत के वर्तमान ग्रैंड मुफ्ती और ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलमा के महासचिव ने युवाओं से देश में सकारात्मक माहौल बनाने के लिए काम करने को कहा। लोगों को देश की शांति और प्रगति के लिए धर्मनिरपेक्षता का समर्थन करने का सुझाव देते हुए उन्होंने कहा कि सुन्नी आदर्श, आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ थे। क्योंकि आतंकवाद और उग्रवाद किसी भी चीज का समाधान नहीं थे। इसके अलावा, केरल हज कमेटी के अध्यक्ष सी मुहम्मद फैजी ने मुस्लिम समुदाय से आग्रह किया कि वे सरकार या किसी अन्य संगठन की आलोचना न करें। जिसके लिए समुदाय स्वयं जिम्मेदार है। बल्कि जहां भी आवश्यक हो, खुद को सुधारें।
उन्होंने कहा कि भारत में मुसलमान धार्मिक स्वतंत्रता के उत्तराधिकारी हैं। यहां का हर मुसलमान बिना किसी बमबारी/गोलीबारी की आशंका के नमाज़/इबादत करता है। जैसा कि अन्य कई इस्लामिक देशों में नहीं होता है।