मेरठ। स्वामी विवेकानन्द सुभारती विश्वविद्यालय के डिपार्टमेंट ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज ने भारतीय ज्ञान परंपरा विषय के अंतर्गत “सुशासन पर कौटिल्य का दृष्टिकोण” विषय पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया। इस मौके पर विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली ज्ञान का एक व्यापक और प्राचीन भंडार है, जिसमें दर्शन, विज्ञान, गणित, चिकित्सा और कला जैसे विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।
वेदों, उपनिषदों और महाकाव्यों महाभारत और रामायण जैसे सहस्राब्दी पुराने ग्रंथों में निहित, यह प्रणाली वास्तविकता, मानव अस्तित्व और नैतिक जीवन की प्रकृति में गहन अंतर्दृष्टि प्रदान करती है। भारतीय दर्शन, वेदांत, बौद्ध धर्म और जैन धर्म जैसे विद्यालयों के माध्यम से, गहरे आध्यात्मिक प्रश्नों और मुक्ति (मोक्ष) की खोज करता है। कौटिल्य पर बोलते हुए डॉ. मनोज कुमार त्रिपाठी ने कहा कि कौटिल्य एक मिश्रित मॉडल का समर्थन करते थे जहां राज्य संसाधनों और उद्योगों के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। कौटिल्य की विदेश नीति के बारे में बताते हुए डॉ. मनोज ने कहा कि कौटिल्य की विदेश नीति व्यावहारिक और वास्तविक राजनीति पर आधारित थी।
उन्होंने शासकों को अपनी कूटनीतिक गतिविधियों में लचीला और रणनीतिक होने, अपने हितों की रक्षा और विस्तार करने के लिए गठबंधन और संधियाँ बनाने की सलाह दी। अर्थशास्त्र में युद्ध, जासूसी और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए विस्तृत रणनीतियों की रूपरेखा दी गई है, जिसमें तैयारियों और अनुकूलनशीलता के महत्व पर जोर दिया गया है।