स्वस्थ रहना है तो हानिकारक मनोवेगों को अपने शरीर में स्थान ही न बनाने दें अन्यथा इन मनोवेगों अर्थात् काम, क्रोध, चिंता, तनाव, लोभ, मोह, भय की अधिकता तो हमारे शरीर की शत्रु है। इनकी अधिकता से शरीर में अनेक हानिकारक तत्व उत्पन्न हो जाते हैं। ये इतने हानिकारक होते हैं कि रोगों से लड़ने की शरीर की शक्ति को कम कर दिया करते हैं, अत: इन से तो हर अवस्था में बचना ही है।
ऐसे मनोवेगों से सचेत रहें। जैसे ही जरा सा प्रभाव होने लगे, झटकने की कोशिश करें। आप की सतर्कता से ही ये भाव, ये विचार आप के मन से निकल सकते हैं।
ऐसे हानिकारक विचारों को अन्दर मत रखें। कमरा बंद करके अकेले में बोलें और निकाल दें। इस प्रकार मन शांत हो जाएगा। यदि आप तनाव में या किसी के प्रति क्रोध में घिर जाएं तो इन्हें कागज पर लिख कर अपना मन हल्का कर लें। बंद कमरे में जोर-जोर से हंसें, गाएं, रोएं। मन जैसा चाहे, वैसा कर अपने आप को शांत करें। क्रोध, तनाव न रहनेे दें।
तकिया लें। अपने गुस्से को इस पर निकालें। जोर-जोर से मुक्के (घूंसे) मारें। क्रोध नहीं रहेगा। आप सामान्य हो जाएंगे।
अपने मन की बात किसी विश्वासपात्रा से कह कर भी आप मन को हल्का कर सकते हैं।
आप ऊपर बताई विधियों में से कोई भी अपना कर, अपने भय, क्रोध, चिंता, तनाव से शांत होने पर अपने सांस पर ध्यान दें। जब आप जानना चाहेंगे कि सांस किस नथुने से निकल रही है, कितनी गहरी जा रही है, इस का तापक्रम कैसा है तो आप का पूरा ध्यान उधर लग जाएगा। मतलब ध्यान बंट जाएगा। इससे आप पूरी तरह शांत हो सकेंगे। पलंग पर लेटकर, शरीर को ढीला छोड़ कर भी आप तनावमुक्त हो सकते हैं। कुर्सी पर ढीले-ढाले बैठ कर भी तनावमुक्त होना संभव है। किसी भी अवस्था में रह कर लंबी-लंबी गहरी सांसें लें। मन जो कुछ करना चाहे करने दें। सीटी बजाएं। गीत गुनगुनाएं।
ठंडा पानी पी लें। एक-दो-तीन गिलास। इस से भी क्रोध व तनाव घटने लगता है। नींबू पानी पीना भी ठीक रहता है। नारियल का पानी उपलब्ध हो तो उसे पी लें। जो सेवन करें, स्वाद के साथ करें। कुछ चबाना शुरू कर दें जैसे नारियल की ताजा गरी, सौंफ, इलायची, च्युइंगम आदि। मतलब तो ध्यान बंटाने से है।
इन तरीकों से हम अपने हानिकारक मनोवेगों को ठीक कर शांत और सामान्य हो सकते हैं और अपने स्वास्थ्य की भी रक्षा कर सकते हैं।
– सुदर्शन भाटिया