Tuesday, April 1, 2025

गाजियाबाद में निगम का 314 करोड़ रुपये दबाए बैंठे हैं सरकारी विभाग, गड़बड़ा रही आर्थिक स्थिति

गाजियाबाद। नगर निगम का कर के रुप में 110 सरकारी दफ्तरों पर करीब 314 करोड़ रुपये संपत्ति कर और सेवा शुल्क बकाया है। कर वसूली के नाम पर आम नागरिकों पर निगम सख्त रुख अपना रहा है लेकिन सरकारी विभागों को नोटिस जारी करके ही खानापूर्ति कर ली जाती है। सरकारी दफ्तरों की वसूली न होने से निगम की आर्थिक स्थिति गड़बड़ हो गई है। निगम प्रशासन सरकारी भवनों से गृहकर वसूल ले तो उसकी आर्थिक हालत सुधर सकती है।

 

नगर निगम के सरकारी बकायेदारों में 41 दफ्तर केंद्र सरकार के अधीन हैं और 69 दफ्तर राज्य सरकार के अधीन आते हैं। केंद्रीय विभागों के अधीन दफ्तरों पर 155 करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है, जबकि राज्य के विभागों के अधीन आने वाले दफ्तरों पर करीब 158 करोड़ रुपया लंबे समय से बकाया है। बड़े बकायेदारों में दिल्ली मेट्रो सबसे ऊपर है, जिस पर 77 करोड़ रुपये से अधिक बकायाहै। इसके अलावा एओसी हिंडन पर 24 करोड़ से ज्यादा, मानव संसाधन विकास केंद्र पर 15 करोड़ से ज्यादा, रेलवे विभाग संपत्ति पर आठ करोड़ से ज्यादा बकाया है।

 

 

इसके अलावा राज्य के अधीन आने वाले विभागों के दफ्तरों में सबसे बड़ा बकायेदार विद्युत विभाग है, जिस पर 126 करोड़ रुपये से ज्यादा निगम का बकाया है। नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी डॉ. संजीव सिन्हा का कहना है कि विभागों को लगातार पत्र लिखे जा रहे हैं। नोटिस भी जारी किए जाते हैं। मौजूदा वित्तीय वर्ष में कई विभागों ने बकाया जमा भी कराया है।

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