देहरादून। उत्तराखंड में ग्राम पंचायत विकास अधिकारी (वीपीडीओ) भर्ती धांधली में आरोपी हाकम सिंह रावत और संजीव चौहान की जमानत मंजूर हो गई है। स्पेशल विजिलेंस जज बृजेंद्र सिंह की अदालत ने दोनों को जमानत दी है। दोनों को 50-50 हजार रुपये के निजी मुचलकों और इतनी ही राशि के दो-दो जमानती प्रस्तुत करने होंगे। हालांकि, इन आरोपियों के खिलाफ पहले भी कई मुकदमे दर्ज हैं। लिहाजा, फिलहाल दोनों जेल से बाहर नहीं आएंगे।
आरोपी हाकम सिंह और संजीव चौहान ने बीते दिन स्पेशल विजिलेंस कोर्ट में जमानत के लिए अर्जी दी थी। आरोपियों की ओर से अदालत में अधिवक्ता आरिफ बेग और विजिलेंस की ओर से अधिवक्ता आशुतोष शर्मा उपस्थित थे। इस दौरान हाकम सिंह और संजीव चौहान की ओर से उनके अधिवक्ता ने जमानत के लिए दलील प्रस्तुत की। उन्होंने कहा कि ये न तो सरकारी कर्मचारी हैं और न ही इस मामले से उनका कोई लेना देना है। इस मामले में पहले भी एक आरोपी को जमानत मिल चुकी है। ऐसे में उन्हें भी जमानत दी जाए। पुलिस ने उन्हें इस मामले में झूठा फंसाया है।
इस पर अभियोजन की ओर से तर्क दिया गया कि, दोनों शातिर किस्म के आरोपी हैं। कई परीक्षा धांधलियों में शामिल रहे हैं। इन्होंने आरएमएस सॉल्यूशन कंपनी के मालिक के साथ मिलकर वीपीडीओ भर्ती में भी धांधली की है। यदि जमानत मिली तो ये गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं।
अभियोजन के तर्क और बचाव की दलीलों के आधार पर कोर्ट में केस डायरी का अवलोकन किया गया। अदालत ने माना कि इन दोनों का नाम एफआईआर में नहीं है। अभ्यर्थियों से आरोपियों ने कितने रुपये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से लिए, इसके भी कोई साक्ष्य नहीं हैं। प्रथम ²ष्टया अपराध में संलिप्तता से इनकार करते हुए कोर्ट ने दोनों को जमानत दे दी।
वीपीडीओ भर्ती धांधली में जनवरी 2020 में विजिलेंस ने मुकदमा दर्ज किया था। लेकिन, अक्तूबर 2022 तक किसी भी आरोपी को नामजद नहीं किया। भर्ती धांधलियों में एसटीएफ भी जांच कर रही थी। लिहाजा, यह जांच भी विजिलेंस से हटाकर एसटीएफ के सुपुर्द कर दी गई।
इस मामले में एसटीएफ ने आठ अक्तूबर को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग के पूर्व अध्यक्ष आरबीएस रावत, पूर्व सचिव एमएस कन्याल और पूर्व परीक्षा नियंत्रक आएस पोखरिया को गिरफ्तार किया था। इस मामले में एसटीएफ ने स्नातक स्तरीय परीक्षा के पेपर लीक मामले में पहले से जेल में बंद हाकम सिंह रावत और आरएमएस टेक्नो सॉल्यूशन के मालिक के भाई संजीव चौहान को भी आरोपी बनाया था।