Sunday, May 19, 2024

हरदीप पुरी ने लॉन्च की हाइड्रोजन ईंधन सेल से चलने वाली बस, कहा- घरेलू मांग चार गुना बढ़ेगी

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नई दिल्ली। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में पहली ग्रीन हाइड्रोजन ईंधन सेल बस को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।

इस मौके पर उन्‍होंने कहा कि हाइड्रोजन को भविष्य का ईंधन माना जाता है। इसमें भारत को अपने डीकार्बोनाइजेशन लक्ष्यों को पूरा करने में मदद करने की अपार क्षमता है। वर्ष 2050 तक हाइड्रोजन की वैश्विक मांग चार से सात गुना बढ़कर 50-80 करोड़ टन होने की उम्मीद है।

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उन्होंने कहा कि घरेलू मांग मौजूदा 60 लाख टन से बढ़कर 2050 तक चार गुना बढ़कर 250-280 लाख टन होने की उम्मीद है। मंत्रालय के तहत सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां 2030 तक सालाना लगभग 10 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करने में सक्षम होंगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि शीघ्र ही एनसीआर क्षेत्र में अतिरिक्त 15 ईंधन सेल बसें संचालित करने की योजना बनाई जा रही है। उन्होंने कहा, “हरित हाइड्रोजन से चलने वाली यह बस देश में शहरी परिवहन का चेहरा बदलने जा रही है। मैं राष्ट्रीय महत्व की इस परियोजना की बारीकी से निगरानी करूंगा।”

पुरी ने कहा कि मंत्रालय ने हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में अग्रणी पहल की है और हम रिफाइनरियों में हरित हाइड्रोजन का उत्पादन और उपयोग करने के अपने प्रयासों में तेजी ला रहे हैं। पुरी ने बताया कि इसके अलावा, प्राकृतिक गैस पाइपलाइनों में हाइड्रोजन मिश्रण, इलेक्ट्रोलाइज़र आधारित प्रौद्योगिकियों के स्थानीयकरण, हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए जैव-मार्गों को बढ़ावा देने से संबंधित परियोजनाओं को आक्रामक रूप से आगे बढ़ाया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि ईंधन सेल बस को बिजली देने के लिए बिजली उत्पन्न करने के लिए हाइड्रोजन और हवा का उपयोग करता है। बस से निकलने वाला एकमात्र अपशिष्ट पानी है। इसलिए यह डीजल से चलने वाली पारंपरिक बसों की तुलना में परिवहन का संभवतः सबसे पर्यावरण अनुकूल तरीका है। मंत्री ने आगे बताया कि आंतरिक दहन इंजन की तुलना में ईंधन सेल अत्यधिक कुशल हैं। पारंपरिक इंजनों की तापीय दक्षता 25 प्रतिशत है जबकि ईंधन सेल की विद्युत दक्षता 55-60 प्रतिशत है। पुरी ने कहा कि इन बसों में ढाई-तीन किमी/लीटर डीजल बसों की तुलना में 12 किमी/किलोग्राम हाइड्रोजन की उच्च ईंधन अर्थव्यवस्था होगी। इसके अतिरिक्त, हाइड्रोजन ईंधन से चलने वाले वाहन को कुछ ही मिनटों में फिर से भरा जा सकता है। लगभग उतनी ही तेजी से जितनी तेजी से आंतरिक दहन इंजन में पेट्रोल या डीजल भरा जा सकता है।

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