सिरसा। हरियाणा में बीजेपी के टिकट बंटवारे ने काफी हलचल मचा दी है। कैबिनेट मंत्री चौधरी रणजीत सिंह चौटाला का इस्तीफा और उनकी नाराजगी ने स्थिति को और जटिल बना दिया है। रानिया विधानसभा से टिकट नहीं मिलने के कारण उनका गुस्सा स्वाभाविक है, और उनका चुनावी लड़ाई में बने रहना एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है कि पार्टी की आंतरिक राजनीति में गहराई से मुद्दे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इस विवाद का चुनावी परिदृश्य पर क्या असर पड़ता है।
आपको बता दें कि रणजीत सिंह चौटाला ने रानिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की इच्छा जताई थी, लेकिन बीजेपी ने उनकी जगह शीशपाल कंबोज को टिकट दे दिया। इस निर्णय से नाराज होकर चौटाला ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। यह स्थिति पार्टी के भीतर मतभेदों और असंतोष को उजागर करती है, जो चुनावी रणनीतियों और परिणामों पर असर डाल सकती है।
रणजीत सिंह चौटाला पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के भाई और देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के बेटे हैं। पहली बार उन्होंने रोडी विधानसभा से 1987 में लोकदल की टिकट पर चुनाव लड़ा था, वो विधायक बने थे. इसके बाद 1990 में उन्हें हरियाणा से राज्यसभा सांसद के रूप में चुना गया। 2005-2009 में उन्हें हरियाणा राज्य योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष का पद संभालने का मौका मिला। रणजीत चौटाला 2019 में रानिया सीट से ही निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते थे और बाद में बीजेपी सरकार को समर्थन देकर मंत्री बन गए थे।
रणजीत सिंह चौटाला ने कहा, “बीजेपी ने मुझे डबवाली से चुनाव लड़ने का ऑफर दिया था, लेकिन मैंने ठुकरा दिया। रोड शो दिखाकर अपना शक्ति प्रदर्शन करूंगा।” उन्होंने कहा, ”भले ही किसी दूसरी पार्टी से लड़ूं या आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ूं, लेकिन लड़ूंगा जरूर। बुधवार (4 सितंबर) को टिकट बंटवारे के बाद से बीजेपी के पांच बड़े नेता इस्तीफा दे चुके हैं।