नई दिल्ली। दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सोमवार को केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ दर्ज मानहानि मामले में आरोप तय करने पर सुनवाई टाल दी है। एडिशनल चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट तान्या बामनियाल ने मामले की अगली सुनवाई 30 सितंबर को सुनवाई का आदेश दिया।
आज सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि इससे जुड़ा मामला दिल्ली हाई कोर्ट में सुनवाई लंबित है, जिसके बाद कोर्ट ने सुनवाई की अगली तिथि 30 सितंबर को करने का आदेश दिया। सेशंस कोर्ट ने 13 दिसंबर 2023 को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट से अशोक गहलोत को जारी समन के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी थी। सेशंस कोर्ट के आदेश को अशोक गहलोत ने दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जहां मामला अभी लंबित है।
राऊज एवेन्यू कोर्ट ने 19 सितंबर, 2023 को अशोक गहलोत की उन्हें बरी करने की मांग खारिज कर दी थी। कोर्ट ने 6 जुलाई, 2023 को बतौर आरोपित अशोक गहलोत को समन जारी किया था। दिल्ली पुलिस ने 25 मई, 2023 को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल की थी। इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था कि संजीवनी घोटाले से उनका कोई संबंध नहीं है। शेखावत ने कहा था कि जांच एजेंसियों ने उन्हें आरोपित नहीं माना, उनके ऊपर झूठे आरोप लगाए गए हैं। शेखावत ने कहा था कि अशोक गहलोत ने उनकी छवि खराब करने के लिए उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए।
याचिका में कहा गया है कि अशोक गहलोत ने सार्वजनिक बयान दिया कि संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी घोटाले में शेखावत के खिलाफ स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) की जांच में आरोप साबित हो चुका है। याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने ट्वीट कर कहा कि संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी ने करीब एक लाख लोगों की गाढ़ी कमाई लूट ली। इस घोटाले में करीब नौ सौ करोड़ रुपए की हेराफेरी का आरोप लगाया गया है।
याचिका में कहा गया है कि गहलोत ने अपने ट्वीट में कहा कि ईडी को संपत्ति जब्त करने का अधिकार है न कि एसओजी को। एसओजी ने कई बार ईडी से संजीवनी कोआपरेटिव सोसायटी की संपत्ति जब्त करने का आग्रह किया है लेकिन ईडी ने कोई कार्रवाई नहीं की जबकि ईडी विपक्ष के नेताओं पर लगातार कार्रवाई कर रही है। गहलोत ने अपने ट्वीट में शेखावत से कहा कि अगर आप निर्दोष हैं तो आगे आइए और लोगों के पैसे वापस कीजिए। याचिका में कहा गया है कि मुख्यमंत्री गहलोत ने शेखावत का नाम एक ऐसी कोऑपरेटिव सोसाइटी के साथ जोड़कर चरित्र हनन करने की कोशिश की, जिसका न तो वे और न ही उनके परिवार का कोई सदस्य उस सोसायटी में जमाकर्ता है।