नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करने की माँग अपनी आपत्ति व्यक्त की, जिसमें पूर्व जेएनयू छात्र कार्यकर्ता उमर खालिद द्वारा दायर जमानत याचिका भी शामिल है।
सबसे पहले खालिद की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी की अध्यक्षता वाली पीठ से निर्धारित सुनवाई को अगले सप्ताह के लिए टालने का अनुरोध किया। इस पीठ में न्यायमूर्ति पंकज मिथल भी शामिल हैं।
न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने वरिष्ठ वकील से कहा, “हम कोई स्थगन नहीं देंगे।”
सिब्बल ने बताया कि उन्होंने इसलिए स्थगन का अनुरोध किया कि वह संवैधानिक पीठ में सुने जाने वाले मामलों में व्यस्त हैं।
पीठ ने कहा कि मामले में सुनवाई की आवश्यकता है क्योंकि खालिद, जिस पर दिल्ली दंगों की बड़ी साजिश के मामले में सख्त आतंकवाद विरोधी कानून के तहत आरोप लगाया गया है, वह सलाखों के पीछे है।
हालांकि सिब्बल और अन्य वरिष्ठ अधिवक्ताओं द्वारा बार-बार समझाने के बाद पीठ ने स्थगन के अनुरोध को स्वीकार कर लिया और मामलों के पूरे बैच की सुनवाई 24 जनवरी को तय की। शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि वह अगली तारीख पर स्थगन के किसी भी अनुरोध पर विचार नहीं करेगी।
इससे पहले नवंबर 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने यूएपीए की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के साथ-साथ दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जमानत से इनकार के खिलाफ दायर खालिद की विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई 10 जनवरी तक के लिए टाल दी थी।