Monday, November 25, 2024

किसान आंदोलन पर हाई कोर्ट ने केंद्र, हरियाणा व पंजाब से मांगी रिपोर्ट, 15 फरवरी को होगी सुनवाई

चंडीगढ़। पंजाब के किसान संगठनों के दिल्ली कूच को रोकने के लिए हरियाणा पुलिस के लगाए अवरोधों का संज्ञान लेते हुए पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट ने केंद्र, पंजाब व हरियाणा सरकार को नोटिस जारी कर रिपोर्ट तलब की है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 15 फरवरी को होगी।

पंजाब के किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर दिल्ली की ओर कूच कर रहे हैं। इस कूच से पहले सोमवार को वकील उदय प्रताप सिंह ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। इस याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान हरियाणा, पंजाब व केंद्र सरकार के प्रतिनिधि पेश हुए।

केंद्र सरकार की तरफ से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल सत्यपाल जैन ने कहा कि इस आंदोलन के दौरान रेलवे की सभी सेवाएं पहले की तरह जारी हैं। केन्द्र सरकार के तीन मंत्रियों के साथ किसानों की दो बार बातचीत हो चुकी है। केंद्र सरकार ने जो कमेटी बनाई गई, उसमें किसान यूनियन की तरफ से शामिल होने वाले प्रतिनिधियों के नाम नहीं दिए गए हैं। केंद्र सरकार की तरफ से हाई कोर्ट को बताया गया है कि कोर्ट कोई एक स्थान तय करे, जहां किसान बैठकर प्रदर्शन करें। केंद्र सरकार किसानों के साथ बातचीत करने के लिए हर समय तैयार है।

हरियाणा सरकार के वकील ने कोर्ट को बताया कि प्रदर्शन से पहले दिल्ली सरकार से इजाजत लेनी चाहिए थी, इनके इरादे ठीक नहीं हैं। इस पर जज ने पूछा कि किसान तो सिर्फ आपके रास्ते से गुजर रहे हैं तो आप उनका रास्ता कैसे रोक सकते हैं। याचिका दायर करने वाले वकील उदय प्रताप ने कहा कि किसानों ने शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करना है। इसके बावजूद हरियाणा सरकार ने पंजाब से लगते बॉर्डर सील कर दिए हैं। इसके अलावा 15 जिलों में धारा 144 लगाई गई है। सात जिलों में इंटरनेट बंद कर दिया गया है।

उन्होंने दलील दी कि बॉर्डर बंद करने और मोबाइल इंटरनेट,एसएमएस बंद किए जाने से एक तरफ किसानों के लोकतांत्रिक अधिकार का हनन किया जा रहा है तो दूसरी तरफ आम लोगों को भी परेशान किया जा रहा है। याचिकाकर्ता ने एक मामले में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का भी हवाला दिया है, जिसमें शीर्ष कोर्ट ने माना है कि विरोध प्रदर्शन के लिए सार्वजनिक मार्गों पर कब्जा स्वीकार्य नहीं है और प्रशासन को सार्वजनिक मार्ग को अतिक्रमण या अवरोधों से मुक्त रखना चाहिए।

याचिका के अनुसार इसके अतिरिक्त, कई जिलों जिलों में सीआरपीसी की धारा 144 लागू करने के साथ-साथ विभिन्न सडक़ों पर सीमेंट बैरिकेड्स, स्पाइक स्ट्रिप्स और अन्य बाधाएं लगाना राज्य के अधिकारियों द्वारा किसी के विरोध करने के अधिकार को दबाने का प्रयास को दर्शाता है। जो लोकतांत्रिक अभिव्यक्ति के खिलाफ है।

हाई कोर्ट ने कहा कि इस मामले का हल बातचीत के साथ होना चाहिए। इस मामले में सभी पक्षों को धैर्य से काम लेना चाहिए। हाई कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा व केंद्र सरकार को इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 15 फरवरी को तय की है।

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