Friday, May 23, 2025

उम्मीद है तुर्की पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद का समर्थन बंद करने का आग्रह करेगा : विदेश मंत्रालय

नई दिल्ली। भारत ने गुरुवार को कहा कि वह तुर्की से अपेक्षा करता है कि वह पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को समर्थन न देने का दबाव बनाए और दशकों से पाकिस्तान समर्थित आतंक को खत्म करने में अपनी भूमिका निभाए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने नई दिल्ली में साप्ताहिक मीडिया ब्रीफिंग के दौरान कहा, “हम उम्मीद करते हैं कि तुर्की पाकिस्तान से सीमा पार आतंकवाद को समर्थन बंद करने और दशकों से उसके द्वारा पोषित आतंकी गतिविधियों के खिलाफ विश्वसनीय कार्रवाई करने का आग्रह करेगा। किसी भी दो देशों के बीच संबंध एक-दूसरे की चिंताओं के प्रति संवेदनशीलता के आधार पर बनाए जाते हैं।” तुर्की ने राष्ट्रपति एर्दोगन के नेतृत्व में पाकिस्तान की भारत के प्रति सैन्य आक्रामकता का समर्थन किया है। पिछले सप्ताह तुर्की के खिलाफ कार्रवाई करते हुए नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (बीसीएएस) ने राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में नौ हवाई अड्डों पर ग्राउंड हैंडलिंग सेवाएं प्रदान करने वाली सेलेबी एयरपोर्ट सर्विसेज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी। यह आदेश तुर्की द्वारा इस्लामाबाद का समर्थन करने और 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकी हमले में 26 निर्दोष लोगों की हत्या का बदला लेने के लिए शुरू किए गए भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की निंदा करने के कुछ दिन बाद लिया गया।

भारत के खिलाफ पाकिस्तान ने जिन ड्रोनों का इस्तेमाल किया था, वे भी तुर्की से मंगाए गए थे। भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सभी ड्रोन अटैक को असफल कर दिया था। जायसवाल ने कहा, “सेलेबी मामले पर तुर्की दूतावास और हमारे विदेश मंत्रालय के बीच चर्चा हुई है। लेकिन, मैं समझता हूं कि यह विशेष निर्णय नागरिक उड्डयन सुरक्षा ने लिया था, क्योंकि उन्हें सुरक्षा मुद्दों को संभालने का अधिकार है।” एर्दोगन के शासनकाल में तुर्की धर्मनिरपेक्ष और पश्चिमी समर्थक लोकतंत्र से इस्लामवादी की तरफ बढ़ा है। पिछले कुछ सप्ताह में इस्लामाबाद को अंकारा के सैन्य, राजनयिक और मीडिया समर्थन ने भारत के साथ तनाव के बीच आग में घी डालने का काम किया है। पहलगाम हमले के कुछ घंटे बाद एर्दोगन ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से मुलाकात की थी। यह हमला पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के एक विस्तारित समूह द रेजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) ने किया था। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद भी एर्दोगन ने पाकिस्तान के साथ एकजुटता दिखाई थी और भारत के हवाई हमलों की निंदा की थी।

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