उत्तर प्रदेश के प्रयागराज शहर में महाकुंभ का आयोजन हो रहा है। विद्वानों का कहना है कि 144 वर्षों के बाद इस बार का महाकुंभ विशेष योग में संपन्न हो रहा है। ऐसे में यहां स्नान करने का सर्वाधिक महत्व है। मकर संक्रांति से प्रारंभ होकर महाशिवरात्रि तक चलने वाला महाकुंभ अब अपने समापन की ओर बढ़ रहा है। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने प्रयागराज के महाकुंभ में स्नान कर लिया है। समापन तक यह संख्या करीबन 65 करोड़ पहुंचने का अनुमान लगाया जा रहा है।
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इस बार महाकुंभ में जितने लोगों ने स्नान किया है वह दुनिया के एक-दो देशों को छोड़कर अधिकांश देशों की कुल जनसंख्या से भी अधिक होती है। भारत के ही नहीं अपितु विदेशों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने महाकुंभ में स्नान कर पूजा अर्चना की है। राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यों के मुख्यमंत्री, राज्यपाल, सांसद, विधायक सहित देश के आम लोगों के मन में कुंभ स्नान के प्रति जो श्रद्धा देखी जा रही है। वैसी श्रद्धा इससे पहले शायद ही देखी गई होगी।
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हालांकि मौनी अमावस्या के अवसर पर महाकुंभ के संगम तट पर भगदड़ मचने से करीबन ३७ लोगों की भीड़ में दबकर मौत हो गई थी। इसी तरह कुंभ आने के लिए नई दिल्ली स्टेशन पर एकत्रित भीड़ में भगदड़ मचने से 18 लोगों की मौत हो गई थी। यह दोनों ही घटना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण थी जिसमें प्रशासनिक लापरवाही का भी बहुत बड़ा हाथ माना जा रहा है। हालांकि दोनों ही घटनाओं की उच्च स्तरीय जांच हो रही है। जिसकी रिपोर्ट आने के बाद ही असली दोषियों का पता चल सकेगा।
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शांतिपूर्वक संपन्न हो रहे कुंभ में ऐसी दो दुर्घटनाएं होने के बाद भी कुंभ स्नान करने वालों की संख्या में कमी नहीं हुई बल्कि दिन प्रतिदिन यह संख्या बढ़ती ही जा रही है। वर्तमान में हर दिन सवा करोड़ से अधिक लोग महाकुंभ में गंगा स्नान कर रहे हैं। आने वाली महाशिवरात्रि पर यह संख्या कई गुना अधिक होने की संभावनाएं व्यक्त की जा रही है। जिसको लेकर बड़े स्तर पर प्रशासनिक तैयारियां की जा रही है। ताकि महाकुंभ में किसी तरह की दुर्घटना की पुनरावृत्ति नहीं हो। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं प्रयागराज आकर महाशिवरात्रि के पवित्र स्नान की तैयारी का जायजा ले चुके हैं। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों को पूरी चौकसी बरतने के निर्देश दिए हैं।
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जहां एक तरफ महाकुंभ में करोड़ों लोग स्नान कर रहे हैं इस बीच केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रयागराज में गंगा-यमुना का पानी नहाने के योग्य नहीं है। सीपीसीबी ने इस रिपोर्ट को तीन फरवरी को तैयार किया था। रिपोर्ट को तैयार करने के लिए सीपीसीबी ने नौ से 21 जनवरी के बीच प्रयागराज में अलग-अलग जगह पर गंगा-यमुना के 73 सैंपल जमा किए। इन सैंपलों की छह मानकों पानी का पीएच वैल्यू, फीकल कोलीफॉर्म, बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड, केमिकल ऑक्सीजन डिमांड और डिजॉल्वड ऑक्सीजन पर जांच की गयी। जितने भी जगहों से सैंपल लिए गए हैं उनमें ज्यादातर में फीकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया की मात्रा मानक से अधिक पाई गई है। बाकी के पांच मानकों पर पानी की गुणवत्ता मानक के मुताबिक मिली।
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सीपीसीबी की वेबसाइट पर दिए आंकड़ों के मुताबिक २९ जनवरी को संगम पर गंगा में फीकल कोलीफॉर्म की मात्रा 2300 पाई गई थी। 29 जनवरी को ही मौनी अमावस्या का पर्व था। इसे महाकुंभ में सबसे बड़ा अमृत स्नान माना गया है। उस दिन गंगा-यमुना में कई करोड़ लोगों ने डबकी लगाई थी।
महाकुंभ में गंगा के जल की शुद्धता को लेकर लगातार सवालो के बीच देश के जाने-माने वैज्ञानिक पद्मश्री डॉ. अजय सोनकर ने गंगा के जल को सिर्फ स्नान योग्य ही नहीं बल्कि अल्कलाइन वाटर जितना शुद्ध बताया है। संगम, अरैल समेत पांच घाटों के गंगाजल की लैब में जांच के बाद उन्होंने यह दावा किया है। उनका कहना है कि महाकुंभ में 60 करोड़ से अधिक श्रद्धालु के गंगा में स्नान के बाद भी इसकी शुद्धता पर कोई असर नहीं पड़ा है।
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मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम के साथ वैज्ञानिक विमर्श करने वाले डॉ. अजय कुमार सोनकर ने कहा कि उन्होंने अपनी नैनी स्थित प्रयोगशाला में गंगा के जल की जांच की। गंगाजल की शुद्धता पर सवाल उठाने वालों को प्रयोगाशाला में जांच की चुनौती भी दी। कहा है कि जिसे जरा भी संदेह हो वह मेरे सामने गंगा जल ले और हमारी प्रयोगशाला में जांच कर संतुष्ट हो जाए। शीर्ष भारतीय वैज्ञानिक डॉ. सोनकर ने कहा है कि गंगाजल सबसे शुद्ध है। यहां नहाने से किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हो सकता है।
रमेश सर्राफ धमोरा