Friday, November 22, 2024

कुछ उम्रदराज लोगों का व्यवहार कितना वाजिब?

पिछले दिनों जयपुर की एक महिला ने सोशल मीडिया के माध्यम से बताया कि वो 25 वर्ष की शादीशुदा महिला हैं। सोशल मीडिया पर पिछले दो वर्षों से सक्रिय है। इस दौरान उनके पास अनेक उम्रदराज लोग जो उनके पिता की उम्र से भी अधिक है, के प्रेम प्रस्ताव व अनर्गल संदेश आते है? यह कोई एक महिला की कहानी नहीं है, ऐसी अनेकों महिलायें होगी, जो कुछ उम्रदराज लोगों के गैर वाजिब व्यवहार से परेशान होती होगी? जिन लोगों से नैतिकता की कामना की जाती है उनके द्वारा यह हरकतें आखिर समाज में क्या संदेश दे रही है। इसी प्रकार समाचार पत्रों व विभिन्न मीडिया माध्यमों से दिन-प्रतिदिन महिलाओं के प्रति दुराचार की खबरें पढकर मन में क्षोभ पैदा होता है। आखिर जिन कंधो पर नैतिकता युक्त जिम्मेदार नागरिक होने का बोध हो, वो गैर-जिम्मेदार क्यों बन जाते है।
उम्रदराज व्यक्ति का दायित्व समाज में महिलाओं के प्रति महत्वपूर्ण रोल निभाने का होता है। वे महिलाओं के प्रति सम्मान और सहानुभूति के अद्वितीय धारक माने जाते हैं । उनका व्यवहार महिलाओं के साथ संवेदनशील, समझदारी भरा और नैतिक दृष्टि से उत्तम होना चाहिए। उनसे महिलाओं के प्रति समानता और आत्मसम्मान की भावना रखने की कामना की जाती हैं, वहीं उन्हें समाज में उत्तरदायी नागरिक के रूप में हम देखते हैं। उनका व्यवहार महिलाओं के समर्थन, संजीवनी, और समृद्धि को बढ़ावा देने वाला होना चाहिए। ऐसे में उम्रदराज लोगों का व्यवहार समाज में विशेषकर महिलाओं को असुरक्षित महसूस करवाता है, यह चिंता का विषय है।
जब हम उम्रदराज लोगों की बात करते हैं, तो इसका मतलब वे समझदार होते हैं जिन्हें समाज ने नागरिकता, सामाजिक उत्थान, और जिम्मेदारियों के साथ संबंधित मान्यताएं दी हैं। हालांकि, कई बार इन उम्रदराज लोगों का व्यवहार या हरकतें वाजिब नहीं होतीं जिसका समाज पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। जरूरी है कि उम्रदराज लोग इस बात का जरूर ध्यान रखे कि उनके द्वारा ऐसी कोई गैर वाजिब हरकतें न हो। आमतौर पर उम्रदराज लोगों को समाज में एक विशेष धार्मिक, सामाजिक और नैतिक दायित्वों का पालन करने वाली पीढी बताया जाता है। ऐसे में उनकी नैतिक दृष्टि से गैर वाजिब हरकतें उसे समाज में लोगों की नजर से भी गिराती है। कई बार देखने में आता है कि कुछ लोग अपने उम्र के इस पड़ाव के दायित्व को ध्यान में नहीं रखते और उनके व्यवहार में गैर-वाजिब व्यवहार दिखाई देता है। यह गैर-वाजिब व्यवहार विभिन्न प्रकार का हो सकता हैं।
उम्रदराज लोगों की अविश्वासनीयता उनकी निष्ठा और विश्वास में कमी उत्पन्न कर सकती है, जो समाज में आत्मविश्वास और सामाजिक संबंधों को प्रभावित कर सकती है। कई बार उम्र दराज लोगों को संवेदनहीनता या असहानुभूति होती है, जिससे वे दूसरों के भावनाओं को समझने में असमर्थ हो सकते हैं। आत्म-प्रतिष्ठा की कमी-कई बार उम्र दराज लोग अपनी स्वास्थ्य और व्यक्तित्व को लेकर असमंजस में रहते हैं, जो उनकी आत्म-प्रतिष्ठा को कम कर सकता है। असंवेदनशील व्यवहार-कुछ लोग उम्रदराज होने के बाद भी असंवेदनशील व्यवहार दिखा सकते हैं जैसे कि बदतमीजी, गंदे टिप्पणियाँ, या अन्य नकारात्मक कृत्य। इसलिए एक उम्र के बाद व्यक्ति का संवेदनशील होना जरूरी है।
उम्रदराज होने के बावजूद हर व्यक्ति को अपने आप को समाज में सामान्य नियमों का पालन करने की जिम्मेदारी होती है। अपनी सही और गलत की समझ रखना और उसके अनुसार व्यवहार करना हर किसी का कर्तव्य होता है। उम्रदराज होना मानव जीवन का एक प्राकृतिक प्रक्रिया है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि हमें सामाजिक और नैतिक दायित्व से मुक्त होने का अधिकार है। आज के दौर में बढते सोशल मीडिया के प्रभाव एवं लचक होते नैतिक संस्कारों के सामने कुछ उम्रदराज लोगों को व्यवहार चिंता का विषय बनता जा रहा है। ऐसे में जरूरत है कि व्यक्ति नीति निष्ठा व ईमानदार बनें। मूल्यों के प्रति समर्पित रहने से ही समाज में एक स्वस्थ पहचान बनायी जा सकती है। उम्रदराज लोग समाज के जिम्मेदार नागरिक होते है, जिनकी वाणी, व्यवहार व कर्म को देखकर युवा वर्ग आचरण करता है।
-डा वीरेन्द्र भाटी मंगल

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