Friday, November 22, 2024

कैसे हो अवकाश के क्षणों का सदुपयोग

प्राय: यह देखने में आता है कि कुछ महिलाएं अपने अवकाश के क्षणों को गपशप व तेरी-मेरी में ही गुजार देती हैं। पति बेचारा या तो बच्चों के साथ उनके होमवर्क या फिर छोटा मोटा गेम खेलकर बिता देता है और ज्यादा जरूरी हुआ तो किसी दोस्त के यहां समय व्यतीत कर आता है।

ऐसी महिलाएं जो अवकाश के दिन आलस्य का भाव रखती हैं या फिर अड़ोस-पड़ोस में बैठकर बेअर्थी बुराईयां कर जहां अपना समय तो बर्बाद करती ही हैं वहीं वे दूसरों के समक्ष अपनी समस्याओं व अभावों का रोना रोकर दूसरों का भी बहुमूल्य समय चौपट करती हैं। सच पूछिये तो व्यस्तता के बीच जो अवकाश मिलता है, उसका सार्थक उपयोग करना ही व्यवहारिकता है।

अपने दायित्वों को अवकाश के क्षणों में तो पूरा कर सकते हैं लेकिन इसके लिए आवश्यकता है तो आपकी सूझ-बूझ व सतर्कता की। फुर्सत के क्षणों को महत्वहीन समझने की बजाय आप एक-दो दिन पूर्व घर के कुछ महत्त्वपूर्ण कार्यों की सूची बना लें व व्यवस्थित कार्यक्रम बना लें कि कब क्या करना है व कहा जाना है।

हां, अवकाश के क्षणों में अपने मस्तिष्क को तनाव  रहित जरूर रखें। ऐसा न हो कि आप उसे बोझ समझें। अवकाश के क्षणों में बच्चों को भरपूर प्यार दें व पति के सहयोग से अन्य कार्यों को भी सहजता से निपटायें। यदि आपके बच्चे नहीं हैं तो घर में सुस्त पड़े रहने की बजाय कहीं पिकनिक मनाने रिश्तेदारों के यहां जा सकते हैं या फिर किसी सद्साहित्य का अध्ययन करके दिमाग को रचनात्मक दिशा में व्यस्त रखा जा सकता है।

यदि बागवानी का शौक है तो अपने गार्डन को सजाया व संवारा जा सकता है। पौधों की कटिंग व उनको पानी देना, खर-पतवार निकालना आदि के अलावा भी घरेलू कार्यों में जैसे कपड़े प्रेस करना छोटी मोटी सिलाई करना आदि अनेकों कार्य ऐसे हैं जिससे आपके फुर्सत के क्षणों का सही सदुपयोग हो सकता है।

अवकाश के समय को यूं ही न गंवाकर यदि सही तरीके से कार्य किया जाये तो आप देखेंगी कि आपके सारे कार्य, जो हमेशा आधे अधूरे पड़े रहते हैं, वे बड़े आराम से पूरे हो जाते हैं। जहां परिवार व बच्चे हैं फिर तो कहने ही क्या? छुट्टी के दिन कोई बढिय़ा सी ‘डिश’  बनायें ताकि बच्चे भी खुश हो जायें। और तो और, बच्चों के बस्तों की भी खबर ली जा सकती है। यदि किताबें व कापियां फट गयी हैं तो उनकी हल्की-फुल्की मुरम्मत कर बढिय़ा सा कवर चढ़ा दें।

यह बात सौ फीसदी नौकरी पेशा स्त्रियों व पुरूषों के लिए सही है कि हफ्ते में एक ही दिन अवकाश मिलता है लेकिन इस अवकाश को यूं ही गंवाने के बजाय व्यस्त जिंदगी का हिस्सा बनाने से आपमें चुस्ती-फुर्ती तो बनी ही रहेगी व आप तनावमुक्त रह कर प्रसन्न चित्त भी नजर आयेंगी। अवकाश के समय का ज्यादा से ज्यादा सदुपयोग करना ही एक अच्छे व सुसंस्कृत परिवार की निशानी भी है।
– चेतन चौहान

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