नाखून और बाल काटने के बाद फिर से बड़े हो जाते हैं। टूटी हुई हड्डियां भी फिर से जुड़ सकती हैं लेकिन टूथ इनैमल एक बार खराब होने के बाद फिर से नहीं आ सकता है। दांतों के बनने की प्रक्रिया गर्भावस्था से ही शुरू होती है। गर्भवती महिलाओं को कैल्शियम युक्त खाद्य पदार्थ सही मात्रा में लेना चाहिए। तभी बच्चे की हड्डियां सही विकसित होंगी और अच्छे दांत भी निकलेंगे। दांत निकलने की प्रक्रिया छह माह की उम्र से ही शुरू हो जाती है। तब से ही ध्यान दें।
जब दूध के दांत टूटते हैं तो उसी दौरान नए दांत भी आ रहे होते हैं। ऐसे में बच्चे के दांतों की ओर जीभ चली जाती है। जीभ दांत की अपेक्षा अधिक कठोर होती है। ऐसे में वो दांत को नुकसान पहुंचा सकती है। इससे दांत का आकार बिगड़ सकता है। दांत टेढ़े-मेढ़े भी निकल सकते हैं। इससे बढ़ते बच्चों के चेहरे की बनावट पर असर पड़ सकता है। उनकी खूबसूरती घट सकती है। अगर बच्चे में इस तरह की कोई आदत है तो उसको छुड़वाने की कोशिश करें।
इनैमल दांत को कवर करने वाला पतला बाहरी आवरण होता है। यह दांतों के लिए सुरक्षा कवच की तरह होता है। यह शरीर में सबसे कठोर ऊतक है। यह दांतों को दैनिक उपयोग जैसे चबाने, काटने, क्रंच करने और पीसने से बचाने में मदद करता है। यह खाने व पीने की गर्म और ठंडे चीजों से चरम सीमा तक तापमान को महसूस करने से रोकता है। इनैमल एसिड और रसायनों को भी रोकता है जो दांतों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
दूध के दांत की संख्या 20 होती है जो 6 माह से 3 वर्ष की उम्र तक निकलते हैं। 4 से 5 वर्ष की उम्र में गिरने शुरू होते हैं। यह प्रक्रिया 12 से 13 वर्ष की उम्र तक चलती है। अंगूठा चूसने से भी दांतों का आकार बिगड़ता है। बच्चों के दांत निकलते हैं तब उनके सामने कई समस्याएं आती हैं। मसूड़ों में दर्द और सूजन से बच्चे अधिक चिड़चिड़े हो जाते हैं। ऐसे में किसी प्रकार की दर्द निवारक दवा न तो खाने को दें और न ही उनके मसूड़ों पर रगड़ें।
दांतों में डेंटिन होता है। यह इनर ट्यूब्स का एक समूह होता है जो दांत की तंत्रिकाओं और अन्य कोशिकाओं को कवर करता है। जब इनैमल हट जाता है तो दांतों के डेंटिन और नसें दिखने लगती हैं। इनके एक्स्पोजर से दर्द और दांतों में सेंसिटीविटी हो सकती है। ऐसी स्थिति में दांतों के गिरने, कैविटी होने और संक्रमण की भी आशंका बढ़ जाती है।
6 वर्ष की उम्र तक बच्चे दांत साफ नहीं कर पाते हैं। उन्हें ब्रश कैसे करना है, सिखाना चाहिए। दांत के अंदर एवं बाहरी भाग को साफ करने के लिए ब्रश को 45 डिग्री झुकाकर मसूड़े की लाइन पर रखकर नीचे से ऊपर की ओर साफ करना चाहिए। सोने से पूर्व दांत साफ करना जरूरी है। नर्म ब्रश उपयोग करें और हर दो माह में बदलना चाहिए।
दांत की सुरक्षा के लिए लार में एसिड को निष्क्रिय करने की प्रवृत्ति है। जो लोग अधिक एसिडिक भोजन लेते हैं और ठीक से ब्रश नहीं करते हैं, इससे उनको नुकसान होता है। इनमें मीठी चीज आइसक्रीम, कैंडी और चॉकलेट, स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थ आलू चिप्स, अम्लीय खाद्य पदार्थ सेब व नींबू, सॉफ्ट ड्रिंक्स और गर्म पेय पदार्थ शामिल हैं। ज्यादा दबाव देकर ब्रश करने और दांत पीसने से भी इनैमल को नुकसान होता है। फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट प्रयोग करें। बच्चा टूथ ब्रश चबाता है तो ब्रशिंग के लिए दूसरा ब्रश रखना चाहिए। दूध के दांत टूटने पर नए दांतों का चैकअप कराना चाहिए। मीठा खाने से बच्चों के दांतों में कैविटी आ जाती है। छह माह में दांतों का चैकअप कराना चाहिए।
इनैमल खराब होने के बाद से सही नहीं हो सकता है। ओरल हाईजीन से खराब होने से रोक सकते हैं। सॉफ्ट टूथब्रश का प्रयोग करें। मीठा या एसिडिक पेय लेने के बाद कुल्ला जरूर करें। डिसेंन्सिटाइजिंग टूथपेस्ट इस्तेमाल में लें। हर छह माह में नियमित जांच और सफाई कराएं।
त नरेंद्र देवांगन