बर्फ का नाम आते ही ‘ठंडा ठंडा कूल कूल’ बर्फ का गोला आंखों के सामने नाचने लगता है। बर्फ गर्मी में शीतलता प्रदान करती है। प्रकृति का अदभुत वरदान है बर्फ। जल की बूंदों को जमा कर बनी बर्फ ठंडक के साथ-साथ कई बीमारियों के उपचार में भी सहायक होती है।
पहाड़ पर रहने वाले लोग इस बात को आज भी मानते हैं कि प्रथम हिमपात की बर्फ खाने से वे कई बीमारियों से बचे रहते हैं। आइए देखें बर्फ किन किन बीमारियों में सहायक है:-
नकसीर आने की स्थिति में बर्फ के बड़े टुकड़ों का चूरा बना कर किसी कपड़े में लपेट कर नथुनों को हाथ में दबाकर चेहरे पर रखें। धीरे-धीरे खून निकलना बंद हो जाएगा।
गले में खराश होने पर गर्दन की मांसपेशियों पर बर्फ का टुकड़ा लेकर धीरे धीरे मलने से गले की खराश में राहत मिलती है।
जल जाने की स्थिति में भी यदि उस स्थान पर बर्फ का टुकड़ा मल दें या बर्फ वाला पानी डाल दें तो बाद में होने वाले छालों से बचा जा सकता है और जलन भी शांत हो जाती है।
मधुमक्खी के काटने पर या त्वचा छिल जाने पर भी बर्फ मलने से राहत मिलती है।
शरीर के किसी भी भाग में दर्द होने पर या मसूड़ों में दर्द होने पर बर्फ का टुकड़ा उस स्थान पर गोल गोल धिसने या मलने से वो भाग सुन्न पड़ जाता है और दर्द में राहत मिलती है। इस प्रक्रिया को थोड़ी थोड़ी देर बाद दोहराने से आराम मिलता है। साधारण आकार का टुकड़ा प्रयोग में लाया जा सकता है।
लू लगने की स्थिति में रोगी के तलुवे और हथेलियों पर बर्फ मलने से उसका प्रकोप कम होता है।
हाथ पैर में मोच आने पर उस स्थान पर बर्फ रगडऩे से आराम मिलता है और सूजन भी नहीं आती।
गर्मी के दिनों में होने वाली घमौरियों पर बर्फ का टुकड़ा मलने से घमौरियों में होने वाला दर्द कम होता है।
चेहरे की झुर्रियों को दूर करने में भी बर्फ सहायता करती है। बर्फ के टुकड़े को चेहरे पर प्रतिदिन रगड़ें।
पेट में जलन होने पर पेट पर बर्फ रगडऩे से जलन में आराम मिलता है।
खून बहने पर उस स्थान पर बर्फ मसलने पर खून बहना बंद हो जाता है।
तेज बुखार होने पर माथे पर बर्फ के पानी की पट्टियां रखने से बुखार कम होता है। (गर्मियों में तेज बुखार होने पर करें)
– नीतू गुप्ता