मानव जीवन परमात्मा प्रदत्त अमूल्य उपहार है। यह परमात्मा की अद्भुत सर्वोत्कृष्ट रचना है। जीवन की महत्ता समझना मनुष्य के लिए अतिआवश्यक है।
तात्विक रूप में जीवन का अर्थ है समय। यदि कोई समय का महत्व समझ ले तो उसका जीवन जग में वंदनीय बन जाता है। आदमी समय की बर्बादी एवं दुरूपयोग पर ध्यान नहीं देते। समय को नष्ट करने का अर्थ है जीवन को नष्ट करना।
मनुष्य अपने जीवन के अमूल्य क्षणों को व्यर्थ ही आलस्य, प्रमाद और उन्माद में खो देते हैं। वह बीता समय कभी लौटकर नहीं आता। समय पर ही सब सुन्दर लगता है। समय बीतने पर वह महत्वहीन हो जाता है।
इसी प्रकार जीवन घट से अमूल्य क्षणों के जितने बूंद गिर जाते हैं घड़ा उतना ही खाली हो जाता है। घड़े की वह रिक्तता कभी भी किसी प्रकार से पुन: पूर्ण नहीं की जा सकती।
मनुष्य जो अमूल्य क्षण आलस्य, प्रमाद व्यसन में बर्बाद करता है, उतने ही समय में कोई सार्थक और उपयोगी कार्य भी कर सकता है, जो उसके लिए, उसके परिवार के लिए समाज और राष्ट्र के लिए लाभकारी हो सकता है।