गाजियाबाद। गाजियाबाद में पिता ने जिसके खिलाफ बेटी के अपहरण के बाद दुष्कर्म की रिपोर्ट लिखाई, उसी से बेटी ने शादी कर ली। अदालत में बयान दर्ज कराते हुए मां ने कहा पति के साथ रिपोर्ट दर्ज कराने गई थी, लेकिन आरोपी के साथ बेटी शादी कर चुकी है। उसके दो बच्चे भी हैं। इसलिए उसे नहीं पता कि रिपोर्ट में क्या लिखाया था। साक्ष्य के अभाव और संदेह का लाभ देते हुए पॉक्सो कोर्ट के विशेष न्यायाधीश लाल बाबू यादव ने आरोपी को बरी कर दिया।
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विवाहिता ने पॉक्सो कोर्ट में बयान दर्ज कराते हुए कहा कि 16 अक्तूबर 2015 की घटना है। उस समय उसकी उम्र 18 वर्ष थी। दिल्ली के दिलशाद गार्डन में कक्षा 11 में पढ़ती थी। उम्र में बड़े लड़के के साथ उसकी शादी तय कर रहे थे। उसने इसका विरोध भी किया था। घर में मम्मी और पापा दोनों ने उसकी पिटाई कर दी थी। पिटाई के बाद गुस्से में वह मनोज के घर चली गई थी। वह वर्तमान में मेरा पति है, हम दोनों के दो बच्चे हैं। मनोज और युवती अपनी मर्जी से लालकिला देखने दिल्ली गए थे।
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25 सितंबर 2015 को विजयनगर में दोनों शादी कर चुके थे। तहसील में जाकर शादी कर पंजीकरण भी करा लिया था। पत्नी के रूप में उसके साथ खुश हूं। अदालत में उपस्थित आरोपी को देखकर उसने पहचान कर कहा कि मेरा पति है। बहला-फुसलाकर ले जाने और दुष्कर्म करने की बात से इन्कार किया। मजिस्ट्रेट को दिए गए बयान में भी यही कहा था। अदालत ने मां और बेटी को पक्षद्रोही घोषित कर युवक को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया।
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20 अक्तूबर 2015 को पिता ने साहिबाबाद थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने बताया था कि उनकी 16 वर्षीय बेटी दिल्ली के एक स्कूल में पढ़ती थी। 16 अक्तूबर को दोपहर एक बजे से स्कूल से घर आ रही थी। रास्ते से उसे युवक बहला-फुसलाकर कहीं ले गया है। तब से बेटी वापस घर नहीं आई है।