गाजियाबाद। स्वास्थ्य विभाग की जांच में नवंबर महीने के 15 दिन में 28 स्थानों पर पानी के नमूने फेल हुए हैं, जबकि अक्तूबर महीने में 81 स्थानों का पानी के नमूने फेल पाए गए थे। कहीं पानी में गंदगी मिली तो कहीं पर टोटल डिजाल्व साॅलिड्स (टीडीएस) की मात्रा आठ सौ से एक हजार के बीच पाई गई। जिन स्थानों के पानी के सैंपल फेल हुए हैं, उनमें कई महंगी हाउसिंग सोसायटियां भी शामिल हैं।
असदुद्दीन ओवैसी ने अखिलेश और भाजपा पर बोला हमला,कहा-सपा हार मान चुकी, अब जयंत को हराना है
वायु और जल प्रदूषण से लोग बीमार हो रहे हैं। सितंबर महीने में 54 स्थानों पर पानी के सैंपल फेल हुए थे। शहरी क्षेत्र में पानी के प्लांटों लिए गए पेयजल के सबसे ज्यादा सैंपल फेल हो रहे हैं। अब हाउसिंग सोसायटियों में भी सप्लाई होने वाला पानी पीने योग्य नहीं मिल रहा है। बीते दिनों राजनगर एक्सटेंशन की केडब्ल्यू सृष्टि हाउसिंग सोसायटी में 50 से ज्यादा पेयजल के सैंपल जांच में फेल हुए थे। इसके अलावा वैशाली सेक्टर एक की हाउसिंग सोसायटी में भी पानी पीने योग्य नहीं पाया गया था। दोनों ही सोसायटी में सप्लाई होने वाले पानी के टैंकों में गंदगी मिली थी। क्लोरिनेशन की भी कोई व्यवस्था नहीं थी।
मुजफ्फरनगर में रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी का भव्य रोड शो, गठबंधन प्रत्याशी के लिए मांगे वोट
एपिडमोलॉजिस्ट डॉ. शिवि अग्रवाल ने बताया कि पीने वाले पानी में 150 से 200 तक टीडीएस होना चाहिए, लेकिन अधिकांश सैंपलों में टीडीएस की मात्रा 500 से 1000 तक मिल रही है। वाटर प्लांट से सप्लाई होने वाले पानी में भी टीडीएस की मात्रा मानक से अधिक मिल रही है। उन्होंने बताया कि लंबे समय तक अधिक टीडीएस वाला पानी पीने से कई तरह के गंभीर रोग होते हैं। इनमें सबसे गंभीर दिल की बीमारी हो सकती है। इसके अलावा गुर्दे और पिताशय की थैली में पथरी, आंत, लिवर व गुर्दे में संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है।