मुजफ्फरनगर- भारतीय जनता पार्टी के दोनों मंत्रियों, डॉक्टर संजीव बालियान और कपिल देव अग्रवाल ने पिछले कुछ साल में पार्टी को जिले में जिस ‘त्रिमूर्ति’ के यहां एक तरह से गिरवी रख रखा है, निकाय चुनाव में उस ‘त्रिमूर्ति’ के चेहरे खुलकर सामने आ गए है। निकाय चुनाव में मूर्ति से जुड़े लोग भाजपा के खिलाफ काम करते हुए नजर आए और नोटा दबा रहे थे।
मुजफ्फरनगर में 2014 में जब से केंद्रीय मंत्री डॉ संजीव बालियान सक्रिय राजनीति में आए हैं और 2016 के बाद जबसे कपिल देव विधायक बने हैं, तब से जिले में भाजपा 3 बड़े उद्योगपतियों के यहां गिरवी रखी नजर आ रही है जिसमे एक प्रमुख चेहरे ने तो इस चुनाव में जमकर भाजपा का विरोध किया और भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ नोटा दबाया और दबवाया।
मुजफ्फरनगर में भाजपा के राजनीतिक गलियारे में एक ‘त्रिमूर्ति’ पिछले कुछ साल से चर्चा में है, जिसमें बिंदल ग्रुप के राकेश बिंदल, सिद्धबली ग्रुप के भीमसेन कंसल और टिहरी सरिये के सतीश गोयल शामिल है। पिछले कुछ वर्षों में मुजफ्फरनगर में बीजेपी का कोई भी बड़ा राजनीतिक या अन्य आयोजन रहा हो, सभी में इन तीनों की भागीदारी सबसे
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आगे दिखाई देती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आये हो या स्मृति ईरानी मुजफ्फरनगर आई हो, सभी कार्यक्रम सतीश गोयल के आवास पर ही आयोजित किए जाते रहे है। मंत्रियों से जुड़े अन्य भी सभी कार्यक्रमों में ये सबसे आगे नजर आते रहे है लेकिन इस निकाय चुनाव में, जब गौरव स्वरूप का टिकट संजीव बालियान ने दिलाया है, ऐसे में संजीव बालियान को इस त्रिमूर्ति ने अपने असली चेहरे से वाकिफ करा दिया है।
बिंदल ग्रुप के राकेश बिंदल ने तो गौरव स्वरूप के लिए अपने बिंदल फार्म पर एक कार्यक्रम भी आयोजित किया था और उनके परिवार के मयंक बिंदल, अंकित जिंदल और अन्य युवा, गौरव के चुनाव प्रचार में सक्रिय भी दिख रहे थे, वहीं भीमसेन कंसल ने भी गणपति धाम में गौरव के समर्थन में कार्यक्रम आयोजित किए, लेकिन सतीश गोयल ने इस चुनाव में खुलकर भारतीय जनता पार्टी का विरोध किया और उनका विरोध इतना प्रबल था कि वे खुद तो नोटा का ही बटन दबा कर आए हैं और एम जी पब्लिक में अपने स्टाफ व अन्य लोगो को भी नोटा और बीजेपी के विरोध के लिए खुलेआम प्रेरित कर रहे थे।
सतीश गोयल एमजी पब्लिक स्कूल पर भी काबिज है, आरोप है कि वहां सतीश गोयल ने करोड़ों के घोटाले कर रखे है। स्कूल की प्रबंध समिति पिछले कुछ सालों से विवादों में घिरी हुई है, जिसमें यह दोनों मंत्री पार्टी बनकर सतीश गोयल का पक्ष ले रहे हैं। सतीश गोयल के खिलाफ सहारनपुर के सहकारी समिति के अधिकारी का आदेश आने के बाद दोनों मंत्रियों ने उस अधिकारी को संजीव बालियान के आवास पर बुलाकर धमकाया भी था और वित्त मंत्री सुरेश खन्ना से भी दबाव बनवाया था। पूरे प्रकरण में दोनों मंत्री सतीश गोयल की मदद करते रहे है, उसका बदला इस चुनाव में सतीश गोयल ने अपना रंग दिखा कर दे दिया है।
सतीश गोयल ने इस चुनाव में खुलकर नोटा का बटन दबाया है, यह उन्होंने कई जगह खुद सार्वजनिक रूप से स्वीकार भी किया है। ऐसा नहीं है कि गौरव स्वरूप को सतीश गोयल द्वारा उनका खुला विरोध किये जाने की जानकारी ना हो,सभी को यह मालूम था कि सतीश गोयल खुलकर विरोध कर रहे हैं, जिसके बाद चुनाव से एक दिन पहले गौरव स्वरुप और
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एसडी कॉलेज के आकाश कुमार, सतीश गोयल के आवास पर जाकर उन्हें मनाने की कोशिश कर भी चुके थे, उसके बावजूद भी सतीश गोयल और उनके नजदीकियों ने भाजपा प्रत्याशी मीनाक्षी स्वरूप का विरोध किया और नोटा का अभियान चलाया, उनके कुछ समर्थकों ने तो राकेश शर्मा के पक्ष में भी वोट डलवाए।
दरअसल सतीश गोयल पिछले कई महीने से सार्वजनिक रूप से यह कह रहे थे कि मुजफ्फरनगर में नगरपालिका का टिकट उसे मिलेगा जिसे वह फ़ाइनल करेंगे, ऐसे में नगर के कई दावेदार जो नगरपालिका का टिकट मांग रहे थे, वह भी उनसे संपर्क करने जाते थे। सतीश गोयल उनसे स्वीकार करते थे कि भाजपा का टिकट उन्हें ही फाइनल करना है , दोनों मंत्रियों ने उन्हें ही जिम्मेदारी दे रखी है और वह जल्द ही नाम फाइनल करके बता देंगे कि इसे टिकट दिया जाना है। सतीश तो बाकायदा प्रत्याशियों से साक्षात्कार भी लिया करते थे कि यदि उन्हें टिकट दूं तो वह क्या करेंगे ? लेकिन पार्टी ने उनकी न सुनकर गौरव स्वरुप की पत्नी मीनाक्षी स्वरुप को टिकट दे दिया।
पूरा जिला जानता है कि गौरव स्वरूप का टिकट केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने अपने जुगाड़ से दिलवाया है और संजीव बालियान अकेले नेता रहे हैं, जो पूरे मनोयोग से गौरव को जिताने में लगे हुए भी थे, ऐसे में भी सतीश गोयल ने गौरव स्वरूप का खुला विरोध करके संजीव बालियान को उनकी हैसियत बता दी है और इससे भी मजे की बात यह है कि जैसे ही 13 मई को गौरव चुनाव जीत गए, तो अगले दिन ही सबसे पहले सतीश गोयल ने गौरव को बधाई देने के पूरे पूरे पेज के विज्ञापन अखबार में छपवा दिए।
ऐसा नहीं है कि सतीश गोयल राजनेताओं का इस तरह इस्तेमाल पहली बार ही कर रहे हो, इससे पूर्व भी जब हरेंद्र मलिक जिले के सबसे ताकतवर नेताओं में शामिल थे तो सतीश गोयल उनके नजदीकी थे और हरेंद्र मलिक से इनकम टैक्स अधिकारी के घर में घुसकर उसकी पिटाई तक करवा दी थी। पूर्व मंत्री वीरेंद्र सिंह जब ताकत में थे ,तो सतीश गोयल उनका इस्तेमाल करते थे और एक दौर तो यह था कि जब सतीश का घर तैयार हो रहा था तो 6 महीने तक सतीश गोयल, वीरेंद्र सिंह के घर में ही सपरिवार रहा करते थे।
फिर जब योगराज सिंह बसपा सरकार में मंत्री बने तो सतीश गोयल का ठिकाना योगराज सिंह का घर बन गया था, पर 2019 के चुनाव में जब योगराज सिंह ने सतीश गोयल को फोन किया कि मैं चौधरी अजीत सिंह को लेकर उनके आवास पर उनसे मिलवाने लाना चाहता हूं तो सतीश गोयल ने चौधरी अजीत सिंह के बारे में बहुत ज़्यादा आपत्तिजनक और घटिया बातें की थी और बाद में खुद ही वह ऑडियो भी सोशल मीडिया पर जारी कर दी थी।
2014 के बाद से जबसे संजीव बालियान ताकत में आए हैं तबसे संजीव बालियान के यहां सतीश गोयल सबसे मजबूत बने हुए हैं, राज्य मंत्री कपिल देव अग्रवाल को तो सतीश गोयल सार्वजानिक रूप से अपना ‘चेला’ कहकर सम्बोधित करते है और एक बार तो सतीश गोयल ने कपिल देव से ज़िले के लोहा उद्योग के बारे में ही शिकायती पत्र लिखवा दिया था।
एक अख़बार ने अपनी फर्स्ट अप्रैल की मजाकिया खबर में सतीश गोयल की पत्नी मधु गोयल को चेयरमैन सीट का संभावित प्रत्याशी लिख दिया था, मधु एक विनम्र और सज्जन घरेलु महिला है भी, जिसके बाद सतीश गोयल ने सुनीता बालियान के साथ मधु की एक फोटो भी मीडिया में जारी करा दी थी कि सुनीता बालियान यह कहने आई थी कि वे भाजपा का उम्मीदवार बनने के लिए राजी हो जाए।
भारतीय जनता पार्टी में सार्वजनिक रूप से यह कहा जाता है कि पार्टी का कोई भी फैसला निजी नहीं होता और पार्टी का एक तंत्र है जो संगठन से बने पैनल की रिपोर्ट के बाद ही किसी भी उम्मीदवार के विषय में फैसला करता है, लेकिन मुजफ्फरनगर में जैसा आजकल चल रहा है उससे आम कार्यकर्ताओं में धारणा बन रही है कि दोनों मंत्रियों ने त्रिमूर्ति के यहां पार्टी को गिरवी रख दिया है।