मुजफ्फरनगर। राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम के तहत रेडक्रॉस भवन में शुक्रवार को समीक्षा बैठक का आयोजन किया गया। बैठक को मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने संबोधित करते हुए स्पर्श कुष्ठ जागरूकता अभियान के बारे में जानकारी दी और राहत एवं बचाव के बारे में विस्तार से चर्चा की। इस दौरान जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. सुषमा यादव, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. अरविंद पंवार, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजीव निगम, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. शरण सिंह, अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. प्रशांत कुमार, डीपीएम विपिन कुमार, जिला सहायक प्रतिरक्षण अधिकारी प्रदीप कुमार शर्मा और समस्त चिकित्सा प्रभारी मौजूद रहे।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. महावीर सिंह फौजदार ने बताया – कुष्ठ निवारण दिवस की थीम ‘आइए कुष्ठ से लड़ें और कुष्ठ को इतिहास बनाएं’ रखी गई है। उन्होंने कहा – यह रोग कोई अभिशाप नहीं है, बल्कि दीर्घकालीन संक्रामक रोग है, जो माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु से फैलता है। 14 फरवरी से जिले में सघन कुष्ठ रोगी खोजी अभियान चलेगा जिसमें अब स्वास्थ्यकर्मी कुष्ठ रोगियों को खोजने का काम करेंगे।
जिला कुष्ठ रोग अधिकारी डॉ. सुषमा यादव ने बताया- सघन कुष्ठ रोगी खोजी अभियान 14 फरवरी से 28 फरवरी तक चलेगा, जिसमें स्वास्थ्यकर्मी कुष्ठ रोगियों को ढूंढने का काम करेंगे। जिसके पश्चात उन मरीजों का इलाज शुरू किया जाएगा। 30 जनवरी से कुष्ठ रोग जागरूकता अभियान शुरू किया गया था जो 13 फरवरी तक चलेगा, जिसके तहत जागरूकता कार्यक्रम चल रहे है।
डॉ. सुषमा ने बताया – शरीर के किसी भाग में तांबा के रंग जैसा दाग हो और उस दाग में सून्नपन हो तो वह कुष्ठ रोग हो सकता है। इस बीमारी को इलाज से ठीक किया जा सकता है। लेकिन समय पर सही जांच और इलाज जरूरी है। उन्होंने बताया – कुष्ठ एक दीर्घ कालीन संक्रामक रोग है, जो माइक्रो बैक्टीरियम लेप्री नामक जीवाणु से फैलता है। जो मुख्यतः हाथों, पैरों की परिधीय तंत्रिका, त्वचा, नाक की म्यूकोसा और श्वसन तंत्र के ऊपरी हिस्से को प्रभावित करता है। यदि कुष्ठ रोग की पहचान जल्द से जल्द न हो तथा उसका समय से उपचार न हो तो यह स्थायी विकलांगता पैदा कर सकता है।