नोएडा। दिल्ली से सटे उत्तर प्रदेश का आईटी हब कहे जाने वाले नोएडा में साइबर ठगों ने अपने पांव पसार दिए है। अज्ञानता के चलते हाई-फाई युवक-युवतियां व महिलाएं आसानी से साइबर ठगों के जाल में फंसकर अपनी जमा पूंजी गंवा रहें हैं। नोएडा व ग्रेटर नोएडा क्षेत्र में रोजाना दर्जनों मामले ठगी के हो रहें हैं, फिर भी लोग जागरूक नहीं हो पा रें है। यही हाल फर्जी काल सेंटरों का हैं।
थाना सेक्टर-20 क्षेत्र के सेक्टर-20 में रहने वाले एक व्यक्ति से अज्ञात साइबर ठगों ने उसका परिचित बनकर 15 हजार की ठगी कर ली। थाना प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि सेक्टर-20 में रहने वाले अमित कुमार ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है कि उनके फोन पर एक व्यक्ति का फोन आया। उसने उनका परिचित बनकर बात की तथा कहा कि वह मुसीबत में है। आरोपी ने पीड़ित से 15 हजार रुपए अपने खाते में डलवा लिया। बाद में पता चला कि वह ठगी के शिकार हुए हैं।
थाना सेक्टर-58 में एक महिला ने रिपोर्ट दर्ज कराई है कि सेक्टर-62 में ऑफिस खोलकर अज्ञात ठगों ने उसको नौकरी दिलाने का लालच दिया तथा उससे अपने खाते में 2 लाख रुपए डलवा लिया। थाना प्रभारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि सेक्टर-78 में रहने वाली रेनू तिवारी की शिकायत पर घटना की रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस मामले की जांच कर रही है।
वहीं थाना सेक्टर-58 क्षेत्र के सेक्टर-56 में रहने वाले एक व्यक्ति के खाते से अज्ञात साइबर ठगों ने 71 हजार रुपए निकाल लिया। थाना प्रभारी संजय कुमार सिंह ने बताया कि पीड़ित हरि सिंह रौतेला ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई है। उनके अनुसार उन्होंने वी-मार्ट से कुछ सामान खरीदा था। क्रेडिट कार्ड के द्वारा उन्होंने पेमेंट किया। उनकी पेमेंट फेल दिखाई गई। उन्होंने बताया कि कुछ देर बाद तीन बार में उनके खाते से 71 हजार रुपए कट गए। थाना प्रभारी ने बताया कि घटना की रिपोर्ट दर्ज कर पुलिस मामले की जांच कर रही है।
ऐसा ही कुछ हाल फर्जी काल सेंटरों का हैं। उत्तर प्रदेश साइबर क्राइम के स्पीड प्रोफेसर त्रिवेणी सिंह का कहना है कि अंतरराज्यीय सीमा क्षेत्र साइबर ठगों के लिए इस तरह के अपराध करने के लिए अनुकूल और सबसे उपयुक्त स्थान हैं, जैसे मेवात, जामताड़ा, नूंह, अलवर, मथुरा और नोएडा। साइबर अपराधी अलग जगह पर अपराध करते हैं, और अलग जगह पर रहते हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पहचान हमेशा नकली पाई जाती है और उन्हें केवल स्थान के आधार पर पकड़ा जा सकता है, यही वजह है कि उनके लिए सीमावर्ती क्षेत्रों से लगातार अपना ठिकाना बदलना सुविधाजनक हो जाता है।
उन्होंने बताया कि महानगर नोएडा में सभी सुविधाओं के साथ एक छोटे से नोटिस पर आसानी से कॉल सेंटर स्थापित किया जा सकता है। इन केंद्रों से विदेशी सबसे ज्यादा ठगे जाते हैं क्योंकि इससे उनके और पीड़ित के बीच की दूरी के कारण पकड़े जाने का जोखिम कम हो जाता है। ठग उनके पासपोर्ट को सत्यापित करने का बहाना करके उन्हें धोखा देते हैं। उन्होंने बताया कि जीरो-ट्रस्ट मॉडल को अपनाना रक्षा का सबसे अच्छा तरीका है।
स्वतंत्र रूप से बात करने या संवेदनशील विवरण साझा करने से पहले अच्छी तरह से सोच लेना चाहिए। एसएसपी ने बताया की किसी को ठगों की पहचान तब करनी चाहिए जब फोन करने वाला पैसे मांगता है, क्योंकि कोई भी सरकारी कर्मचारी या अधिकारी फोन पर पैसे की मांग नहीं करता है।