नई दिल्ली। भारत उन सभी देशों के साथ भारतीय मुद्रा रुपये में व्यापार करने को तैयार है, जो देश डॉलर की कमी या मुद्रा संकट का सामना कर रहे हैं। वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने शुक्रवार को नई विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) लॉन्च होने के बाद यह बात कही।
वाणिज्य सचिव ने विदेशी व्यापार नीति 2023-28 की घोषणा होने के बाद कहा कि भारत सरकार रुपये में भुगतान की प्रणाली को मजबूत करने पर ध्यान दे रही है। उन्होंने बताया कि भारतीय रुपये को वैश्विक मुद्रा बनाने के उद्देश्य के साथ एफटीपी में बदलाव किए गए हैं, जिससे कि उसमें विदेशी व्यापार लेन-देन संभव हो सकें।
इससे पहले नई दिल्ली स्थित वाणिज्य भवन में केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल ने विदेश व्यापार नीति 2023-28 को जारी किया। इस मौके पर गोयल ने भरोसा जताते हुए कहा कि साल 2030 तक 2 हजार अरब डॉलर का निर्यात लक्ष्य प्राप्त हो जाएगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी उद्योग महज सब्सिडी या सहारे के भरोसे सफल नहीं हो सकता है। गोयल ने कहा कि आने वाले दिनों में निर्यात को लेकर विचार में भी बदलाव आएगा।
इस बीच विदेश व्यापार महानिदेशक (डीजीएफटी) संतोष सारंगी ने नई विदेश व्यापार नीति 2023-28 के बारे में मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने बताया कि परंपरागत तौर पर पंचवर्षीय एफटीपी की घोषणा की जाती रही है लेकिन इस हालिया नीति की समाप्ति की कोई तिथि नहीं है। इसे जरूरत के मुताबिक अपडेट किया जाता रहेगा। डीजीएफटी ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 की समाप्ति तक भारत का कुल निर्यात 760-770 अरब डॉलर तक रह सकता है, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 676 अरब डॉलर था।
उल्लेखनीय है कि पिछली विदेश व्यापार नीति पांच साल की अवधि के लिए एक अप्रैल, 2015 से प्रभाव में आई थी लेकिन कोरोना महामारी की वजह से इसे कई बार विस्तार दिया गया। इस नीति को अंतिम बार सितंबर 2022 में 31 मार्च, 2023 तक के लिए विस्तार दिया गया था। इसकी जगह एक अप्रैल से नई एफटीपी लागू हो जाएगी।