नई दिल्ली। यूक्रेन संघर्ष के कारण जी-20 विदेश मंत्रियों की बैठक में रूस और पश्चिमी देशों के बीच कायम मतभेदों के कारण संयुक्त वक्तव्य जारी नहीं हो सका। बैठक के अध्यक्ष के रूप में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने विचार-विमर्श का नतीजा संबंधी सारांश जारी किया।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को बैठक के बाद प्रेस वार्ता में कहा कि यूक्रेन मुद्दे पर मतभेदों के कारण तालमेल कायम करने के भारत के प्रयास सफल नहीं हुए, लेकिन दुनिया विशेषकर विकासशील और कमविकसित देशों के सामने मौजूद चुनौतियों पर समान राय बनाने में हमें कामयाबी मिली। उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों बंगलुरू में आयोजित जी-20 वित्त मंत्रियों एवं केंद्रीय बैंकों के प्रमुखों की बैठक में भी यूक्रेन संघर्ष पर कायम मतभेदों को दूर नहीं किया जा सका था। इसके कारण संयुक्त वक्तव्य की बजाये अध्यक्षीय सारांश जारी हुआ था।
बैठक के बाद जारी 24 पैराग्राफ वाला अध्यक्षीय सारांश और परिणाम दस्तावेज जारी किया गया। इसके तीसरे और चौथे पैराग्राफ में यूक्रेन युद्ध का जिक्र है। इन दोनों पैराग्राफ पर रूस और चीन ने अपनी असहमति दर्ज कराई जबकि अन्य सभी देश पूरे दस्तावेज पर सहमत थे।
मतभेदों का कारण बने तीसरे और चौथे पैराग्राफ गत वर्ष इंडोनेशिया के बाली में आयोजित शिखर सम्मेलन में जारी घोषणा पत्र से लिए गये थे। इनमें यूक्रेन युद्ध के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और संयुक्त राष्ट्र महासभा में दिए गये वक्तव्यों और पारित प्रस्ताव का उल्लेख है। संयुक्त राष्ट्र महासभा में पारित प्रस्ताव में यूक्रेन पर रूस के हमले की निंद की गई थी तथा यूक्रेन से रूसी सेनाओं की बिना शर्त और पूर्ण वापसी की मांग की गई थी। साथ ही प्रस्ताव में यह उल्लेख किया गया था कि अधिकतर देशों ने युद्ध की निंदा की थी जबकि वहां के हालात के बारे में कुछ अन्य देशों की अलग राय और आकलन का जिक्र था।
बाली घोषणा पत्र से लिए गये सारांश पत्र के चौथे पैराग्राफ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बयान पर आधारित इस कथन का उल्लेख था कि आज का युग किसी हालत में युद्ध का युग नहीं होना चाहिए।
अध्यक्षीय सारांश पत्र में बहुपक्षीय विश्व व्यवस्था को मजबूत बनाना खाद्यान और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना, जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता, विश्व स्वास्थय, विकास संबंधी सहयोग, नई और उभरती हुई प्रौद्योगिकी, आतंकवाद विरोधी उपाय, मादक पदार्थों की रोकथाम, विश्व कौशल का लेखा-जोखा, मानवीय सहायता और आपदा जोखिम तथा स्त्री-पुरुष समानता और महिला सशक्तिकरण के बिन्दू शामिल हैं।
सारांश पत्र में आतंकवाद के सभी रूपों की निंदा करते हुए कहा गया कि आतंकवाद और धार्मिक असहिष्णुता, विश्व शांति और सुरक्षा के लिए खतरा है। सभी प्रकार के आतंकवादी कृत्य आपराधिक हैं भले ही उनके पीछे कोई भी दलील हो। कारगर आतंकवाद विरोधी उपायों पर जोर देते हुए कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों के आधार पर आंतकवाद के खिलाफ एक समग्र रवैया अपनाये जाने की जरूरत है।
सारांश पत्र में आतंकवादी गुटों की पनाहगाहों, आतंकवादियों की भर्ती, उन्हें आर्थिक और राजनीतिक सहयोग मिलने के खिलाफ प्रभावी अंतरराष्ट्रीय सहयोग की वकालत की गई।
वर्तमान विश्व व्यवस्था की अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में सुधार पर जोर देते हुए सारांश पत्र में कहा गया है कि द्वितिय विश्व युद्ध के बाद से दुनिया में बहुत बदलाव आया है। 21वीं शताब्दी की चुनौतियों का सामना करने के लिए विश्व प्रबंधन को अधिक भागीदारी मूलक कारगर पारदर्शी और जवाबदेह बनाना समय की मांग है। इसी तरह विश्व व्यापार संगठन सहित अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थाओं को भी पक्षपात रहित और समावेशी बनाने की आवश्यकता है।