Monday, May 20, 2024

2047 तक भारत लगभग 35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ एक वैश्विक बिजलीघर होगा

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मेरठ। युवा की दृष्टि से सपनों का भारत कैसा हो इस्माईल नेशनल महिला महाविद्यालय मेरठ के अर्थशास्त्र विभाग द्वारा विकसित भारत 2047 पर एक अतिथि व्याख्यान का आयोजन किया गया। जिसमें मुख्य वक्ता डाॅ0 वन्दना भारद्वाज, प्रभारी, बी0 एड0 विभाग रहीं।
मुख्य वक्ता डाॅ0 वन्दना भारद्वाज ने अपने व्याख्यान में कहा कि भारत 2047 तक दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की राह पर है। माननीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री ने भी भविष्यवाणी की है कि 2047 तक भारत लगभग 35 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के साथ एक वैश्विक बिजलीघर होगा। आज हम जो बीज बोएंगे वही भविष्य में मिलने वाले फल को परिभाषित करेंगे।
2047 के लिए परिकल्पित विकसित भारत के उपर्युक्त परिवर्तनकारी उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, देश को ’’सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’’ पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखना चाहिए। डाॅ0 ममता सिंह कार्यक्रम संयाजिका ने युवा की दृष्टि से सपनों का भारत कैसा हो पर कहा कि जब नागरिक, किसी भी भूमिका में, अपना कर्तव्य निभाना शुरू करते हैं, तो देश आगे बढ़ता है।
अगले 25 साल आज के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में युवाओं के करियर के लिए निर्णायक होंगे। यह देखते हुए कि ये युवा ही हैं जो भविष्य में नए परिवार और एक नया समाज बनाएंगे 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त करने और 1950 में गणतंत्र बनने के बाद से भारत ने एक लंबा सफर तय किया है। 2047 में, यह एक गणतंत्र के रूप में 100 वर्ष पूरे कर लेगा, और यह सोचना रोमांचक है कि तब देश कैसा दिखेगा।
एक राष्ट्र के रूप में, हमने पिछले कुछ दशकों में, विशेषकर 2000 के दशक की शुरुआत में महत्वपूर्ण प्रगति की है। यह कल्पना करना आसान है कि अगले 25 वर्षों में हम और भी अधिक प्रगति करेंगे। 2047 में भारत के लिए मेरा दृष्टिकोण तकनीकी नवाचार और सतत विकास में विश्व में अग्रणी बनना है। 1.5 अरब से अधिक लोगों की आबादी के साथ, हमें अपने नागरिकों और पर्यावरण की भलाई को प्राथमिकता देनी चाहिए।
प्रो0 अनीता राठी ने कहा कि 2047 में भारत की सबसे खास विशेषताओं में से एक बुनियादी ढांचे का तेजी से विकास होगा। कार्यक्रम में डाॅ0 अंजू बाला राजपूत, श्रीमती मीना राजपूत, डाॅ0 शबिस्ता, डाॅ0 कविता गर्ग आदि शिक्षिकाएं व 42 छात्राएं उपस्थित रही।

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