मुबंई – देश में हर स्तर पर खेल को बढ़ावा देने के प्रति कटिबद्धता का इजहार करते हुये प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को कहा कि साल 2036 में भारत में ओलंपिक्स की मेजबानी के प्रयास में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी जायेगी।
मुंबई में 141वें अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) सत्र के उद्घाटन के मौके पर उन्होने कहा “ साल 2036 में भारत में ओलंपिक्स के आयोजन के लिए देश अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं रखेगा। ये 140 करोड़ भारतीयों का बरसों पुराना सपना है, उनकी आकांक्षा है। इस सपने को सबके सहयोग से पूरा करना चाहते हैं। 2036 ओलंपिक्स से पहले भारत साल 2029 में होने जा रहे यूथ ओलंपिक्स की मेजबानी करने का भी इच्छुक है। मुझे विश्वास है, भारत को आईओसी का निरंतर सहयोग मिलता रहेगा।”
अहमदाबाद में विश्व कप मुकाबले में पाकिस्तान के खिलाफ जीत पर भारतीय टीम को बधाई देते हुये मोदी ने कहा “ अब से कुछ मिनट पहले ही भारत ने अहमदाबाद में दुनिया के सबसे बड़े स्टेडियम में बहुत ही शानदार जीत दर्ज की है। मैं टीम भारत को, सभी भारतवासियों को इस ऐतिहासिक जीत की बधाई देता हूँ।” उन्होने कहा “ भारत हर वर्ष दुनिया की सबसे बड़ी क्रिकेट लीग में से एक का भी आयोजन करता है। इस समय भारत में क्रिकेट वर्ल्ड कप भी चल रहा है। उत्साह के इस माहौल में, सभी लोग ये सुनकर भी खुश हैं कि आईओसी के एक्सीक्यूटिव बोर्ड ने क्रिकेट को ओलंपिक्स में शामिल करने की सिफारिश की है। हमें उम्मीद है इस बारे में जल्द ही हमें कोई अच्छी खबर सुनने को मिलेगी।”
उन्होने कहा कि इंटरनेशनल ओलिंपिक एसोसिएशन का ये, 141वां सेशन भारत में होना बहुत ही खास है। 40 साल बाद भारत में आईओसी का सेशन का होना, हमारे लिए बहुत गौरव की बात है। खेल भारत की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिसा रहा है। भारत के गांवों में जाएंगे, तो पाएंगे कि बिना स्पोर्ट्स के हमारा हर फेस्टिवल अधूरा है। हम भारतीय स्पोर्टस को जीने वाले लोग हैं। हमारे यहां हजारों साल पहले लिखे ग्रंथों में 64 विधाओं में पारंगत होने की बात कही जाती है। इनमें से अनेक विधाएं खेलों से जुड़ी हुई थीं, जैसे घुड़सवारी, तीरंदाजी, तैराकी, कुश्ती ऐसी अनेक स्किल्स को सीखने पर बल दिया जाता था। आर्चरी यानि धनुर्विद्या को सीखने के लिए तो पूरी एक धनुर्वेद संहिता ही लिखी गई थी। इस संहिता में एक जगह कहा गया है- धनुश चकरन्च् कुन्तन्च् खडगन्च् क्षुरिका गदा। सप्तमम् बाहु युद्धम्, स्या-देवम्, युद्धानी सप्तधा।
यानि धनुर्विद्या से जुड़ी सात प्रकार की स्किल्स आनी चाहिए। जिसमें धनुष-बाण, चक्र, भाला यानी आज का जैवलिन थ्रो, तलवारबाजी, ड्रेगर, गदा और कुश्ती शामिल हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि मुंबई से करीब 900 किलोमीटर दूर कच्छ में यूनेस्को की वर्ल्ड हेरिटेज साइट धोलावीरा है। इस प्राचीन शहर में अर्बन प्लानिंग के साथ-साथ स्पोर्ट्स इंफ्रास्ट्रक्चर का भी एक शानदार मॉडल मिला है। खुदाई के दौरान यहां दो स्टेडियम्स सामने आए। इनमें से एक स्टेडियम में एक साथ 10 हज़ार लोगों के बैठने की कैपेसिटी थी। उन्होने कहा कि स्पोर्ट्स में कोई लूजर नहीं होता, स्पोर्ट्स में सिर्फ विनर्स और लरनर्स होते हैं। खेल की भाषा यूनीर्वसल है, स्पिरिट यूनिवर्सल है। स्पोर्ट्स, सिर्फ कंपीटिशन नहीं है। स्पोर्ट्स, ह्यूमैनिटी को अपने विस्तार का अवसर देता है। रिकॉर्ड्स कोई भी तोड़े, पूरी दुनिया उसका स्वागत करती है। खेल हमारे वसुधैव कुटुंबकम यानि एक धरती,एक परिवार, एक भविष्य के भाव को भी सशक्त करता है। इसलिए हमारी सरकार हर स्तर पर खेल को बढ़ावा देने के लिए पूरी प्रतिबद्धता से काम कर रही है।
खेलो इंडिया यूनिवर्सिटी गेम्स, खेलो इंडिया यूथ गेम्स, खेलो इंडिया विंटर्स गेम्स,सांसद खेल प्रतियोगिता और जल्द आयोजित होने वाले खेलो इंडिया पैरा गेम्स इसके उदाहरण हैं। स्पोर्ट्स को लेकर भारत के इसी फोकस के कारण आज भारत इंटरनेशनल इवेंट्स में शानदार प्रदर्शन कर रहा है। पिछले ओलंपिक्स में कई भारतीय एथलीट्स ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। हाल में संपन्न हुए एशियन गेम्स में भारत ने ऐतिहासिक उपलब्धि दी है। उससे पहले हुए वर्ल्ड यूनिवर्सिटी गेम्स में भी हमारे युवा एथलीट्स ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं। ये भारत में बदलते और तेजी से विकसित होते स्पोर्टस लैंडस्केप का संकेत है।