Saturday, February 22, 2025

भारत 2025-26 में दुनिया की सबसे तेजी गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा- आरबीआई

मुंबई। आरबीआई के लेटेस्ट मासिक बुलेटिन के अनुसार, हाई-फ्रिक्वेंसी इंडीकेटर 2024-25 की दूसरी छमाही के दौरान भारत की आर्थिक गतिविधि की गति में क्रमिक वृद्धि की ओर इशारा करते हैं, जो आगे भी जारी रहने की संभावना है। रिपोर्ट के अनुसार, एक चुनौतीपूर्ण और अनिश्चित वैश्विक माहौल में भारतीय अर्थव्यवस्था 2025-26 के दौरान सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए तैयार है।

 

मुज़फ्फरनगर में चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा का अनावरण 20 मार्च को, रालोद ने बनाई रणनीति

 

आईएमएफ और विश्व बैंक ने क्रमशः 6.5 प्रतिशत और 6.7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है। रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि केंद्रीय बजट 2025-26 घरेलू आय और खपत को बढ़ावा देने के उपायों के साथ-साथ पूंजीगत व्यय पर निरंतर ध्यान केंद्रित कर राजकोषीय समेकन और विकास उद्देश्यों को बेहतर तरीके से संतुलित करता है। प्रभावी पूंजीगत व्यय/जीडीपी अनुपात को 2024-25 (संशोधित अनुमान) में 4.1 प्रतिशत से बढ़ाकर 2025-26 में 4.3 प्रतिशत करने का बजट बनाया गया है।

 

 

मुज़फ्फरनगर में सेना के जवान की ट्रक की टक्कर लगने से मौत, अपनी शादी के कार्ड बांटकर घर लौट रहे

रिपोर्ट में कहा गया है कि जनवरी में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर 4.3 प्रतिशत पर आ गई, जो पांच महीने का सबसे निचला स्तर है। इसका मुख्य कारण सर्दियों की फसलों के बाजार में आने से सब्जियों की कीमतों में आई तेज गिरावट है। हाई-फ्रिक्वेंसी इंडीकेटर दर्शाते हैं कि अर्थव्यवस्था 2024-25 की दूसरी छमाही के दौरान सुधार की राह पर है। जनवरी में परचेसिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) में औद्योगिक गतिविधि में पिछली तिमाही की तुलना में सुधार दर्ज किया गया है। बुलेटिन के अनुसार ट्रैक्टर की बिक्री में वृद्धि, ईंधन की खपत में वृद्धि और हवाई यात्रियों की संख्या में निरंतर वृद्धि भी समग्र गति में सुधार की ओर इशारा करती है।

 

 

महाकुंभ काे भव्यता से करना अपराध है तो यह अपराध बार बार करेंगे: योगी

यह इस बात पर भी प्रकाश डालता है कि कृषि आय में वृद्धि से ग्रामीण मांग में तेजी बनी हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में, फास्ट-मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) कंपनियों की बिक्री वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में 9.9 प्रतिशत बढ़ी, जो दूसरी तिमाही में 5.7 प्रतिशत से बहुत अधिक है। शहरी मांग में भी तीसरी तिमाही में 5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ सुधार हुआ, जो पिछली तिमाही में 2.6 प्रतिशत से लगभग दोगुना है।

 

 

 

 

रिजर्व बैंक द्वारा किए गए उद्यम सर्वेक्षण इस आकलन की पुष्टि करते हैं। सूचीबद्ध गैर-सरकारी गैर-वित्तीय कंपनियों ने शुरुआती परिणामों के अनुसार तीसरी तिमाही के दौरान बिक्री वृद्धि में तेजी दर्ज की। रिपोर्ट के अनुसार, क्रमिक आधार पर, परिचालन लाभ मार्जिन भी बेहतर बिक्री वृद्धि के अनुरूप अधिक रहा है। इसमें आगे कहा गया है कि निजी क्षेत्र के निवेश इरादे स्थिर रहे, बैंकों/वित्तीय संस्थानों (एफआई) द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं की कुल लागत चालू वित्त वर्ष 2025 की तीसरी तिमाही में लगभग 1 लाख करोड़ रुपये रही। पूंजीगत व्यय के उद्देश्य से ईसीबी और आईपीओ में भी तीसरी तिमाही के दौरान वृद्धि दर्ज की गई। वैश्विक व्यापार और भू-राजनीतिक परिदृश्य के बारे में अनिश्चितता का घरेलू इक्विटी बाजारों पर असर पड़ा है। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की ओर से बिक्री दबाव के कारण बेंचमार्क और व्यापक बाजारों में गिरावट आई क्योंकि भावनाएं कमजोर रहीं।

 

 

 

 

अमेरिकी डॉलर की मजबूती के कारण अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के अनुरूप भारतीय रुपये में गिरावट आई है। आरबीआई बुलेटिन में यह भी बताया गया है कि अमेरिकी व्यापार नीति अनिश्चितता 2019 के यूएस-चीन व्यापार युद्ध के दौरान देखे गए स्तरों तक बढ़ गई है। वैश्विक अर्थव्यवस्था स्थिर लेकिन मध्यम गति से बढ़ रही है, जिसमें तेजी से विकसित हो रहे राजनीतिक और तकनीकी परिदृश्यों के बीच देशों में अलग-अलग दृष्टिकोण हैं। फाइनेंशियल मार्केट मुद्रास्फीति की धीमी गति और टैरिफ के संभावित प्रभाव को लेकर चिंतित हैं। बुलेटिन में कहा गया है कि उभरती बाजार अर्थव्यवस्थाओं में एफपीआई की ओर से बिकवाली का दबाव और मजबूत अमेरिकी डॉलर के कारण मुद्रा का अवमूल्यन देखा जा रहा है।

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,854FansLike
5,486FollowersFollow
143,143SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय