Monday, December 23, 2024

वैश्विक जैविक उत्पाद मांग को पूरा करने में सक्षम भारतीय किसान : मुर्मु

नयी दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा है कि सरकार खेती और किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रही है और उन कृषि उत्पादों पर विशेष जोर दिया जा रहा है जिनकी वैश्विक बाजार में मांग है।

 

राष्ट्रपति ने 18 वीं लोकसभा के गठन के बाद गुरुवार को संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते हुए कहा कि आजकल जैविक उत्पादों को लेकर दुनिया में मांग तेज़ी से बढ़ रही है। इसलिए सरकार प्राकृतिक खेती और इससे जुड़े उत्पादों की आपूर्ति श्रंखला को सशक्त कर रही है। ऐसे प्रयासों से किसानों का खेती पर होने वाला खर्च कम होगा और उनकी आय और बढ़ेगी।

 

उन्होंने कहा कि भारत के किसानों के पास इस मांग को पूरा करने की भरपूर क्षमता है। उन्होंने कहा, “ वैश्विक बाजार में किस तरह के खाद्य उत्पाद की मांग ज्यादा है, उसके आधार पर नई रणनीति बनाई जा रही है। ”
उन्होंने कहा, “ मेरी सरकार अर्थव्यवस्था के तीनों स्तंभों – विनिर्माण, सेवा और कृषि को बराबर महत्व दे रही है। इससे बड़ी संख्या में रोजगार और स्वरोजगार के नए मौके बन रहे हैं।

 

राष्ट्रपति ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के हर पहलू पर बहुत जोर दिया है। गांवों में कृषि आधारित उद्योगों, पशुपालन और मछली पालन आधारित उद्योगों का विस्तार किया जा रहा है। इसमें भी सहकारिता को प्राथमिकता दी गई है। किसान उत्पाद संघ और पैक्स जैसे सहकारी संगठनों का एक बड़ा तंत्र बनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि छोटे किसानों की बड़ी समस्या भंडारण से जुड़ी होती है। इसलिए सरकार ने सहकारिता क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी भंडारण योजना पर काम शुरु किया है। किसान अपने छोटे खर्चे पूरे कर सकें, इसके लिए पीएम किसान

सम्मान निधि के तहत उन्हें तीन लाख 20 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा राशि दी जा चुकी है। सरकार के नए कार्यकाल के शुरुआती दिनों में ही किसानों को 20 हजार करोड़ रुपए से अधिक की राशि दी जा चुकी है। सरकार ने खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य भी रिकॉर्ड वृद्धि की है।

 

श्रीमती मुर्म ने कहा कि भारत, अपनी वर्तमान जरूरतों को ध्यान में रखते हुए अपनी कृषि व्यवस्था में बदलाव कर रहा है । देश आत्मनिर्भर हों और ज्यादा से ज्यादा निर्यात से किसानों की आमदनी बढ़े, इस सोच के साथ नीतियां बनाई गई हैं और निर्णय लिए गए हैं। सरकार दलहन और तिलहन में दूसरे देशों पर निर्भरता कम करने के लिए देश के किसानों को हर संभव मदद दे रही है।

 

उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से लेकर खाद्य सुरक्षा तक, पोषण से लेकर सतत् कृषि तक अनेक समाधान दिये जा रहे हैं। मोटे अनाज – श्री अन्न – की पहुंच “ सुपरफूड ” के तौर पर दुनिया के कोने-कोने में हो, इसके लिए भी अभियान चल रहा है। भारत की पहल पर, पूरी दुनिया ने वर्ष 2023 में “ अंतर्राष्ट्रीय मोटे अनाज वर्ष ” मनाया है।

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