मेरठ। भारत विरोधी संगठनों को वर्तमान में भारत की छवि और इसकी लंबे समय से चली आ रही समकालिक संस्कृति को बदनाम करने में लिप्त होने के लिए देखा जा रहा है। फर्जी खबरों को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर, तथ्यों को दबा और गलत व्याख्या कर भारत और इसकी लंबे समय से संजोई गई समन्वयवादी संस्कृति की छवि को खराब कर रहे हैं। ये बातें आज विवि प्रेक्षागृह में आयोजित ‘मजहबी एकता और भारत’ विषय में डिबेट कार्यक्रम में आए डॉ. बीडी पांडे ने कही।
उन्होंने कहा कि कुछ लोग भारत की शांतिपूर्ण और धर्मनिरपेक्ष छवि को धूमिल करने के लिए दुष्प्रचार की कमर कस रहे हैं। इसी कार्यप्रणाली के अनुरूप ‘बेबाक कलेक्टिव’ नामक एक संगठन (भारत के विभिन्न राज्यों में कार्यरत स्वायत्त महिला समूह का एक गठबंधन), मुसलमानों पर कथित अत्याचारों के असत्यापित इनपुट का प्रसार करता है और भारत में मुसलमानों के कथित आघात के पीछे हिंदुओं को तर्क देता है।
इस दौरान डॉ. गिरजा ने कहा कि लोकप्रियता हासिल करने और अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों का विश्वास जीतने के लिए ‘बेबाक कलेक्टिव’ ने एक रिपोर्ट (17 दिसंबर, 2022) को जारी की। जिसमें मुसलमानों की भावनात्मक, मनोवैज्ञानिक, सामाजिक, आर्थिक और अन्य समस्याओं की जांच की गई और कहा गया कि जिन क्षेत्रों में मुसलमान लगातार हिंसा का शिकार होते थे। उनके मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा और वे ट्रॉमा के शिकार हो गए। ऐसी चीजों की रिपोर्टिंग और गलत व्याख्या करके यह संगठन भारत को अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों के खिलाफ घृणा और हिंसा के प्रचारक के रूप में चित्रित करता है।
उन्होंने कहा कि संगठन के दावे विशुद्ध रूप से धारणात्मक और प्रकृति में मनगढ़ंत हैं जो मुख्य रूप से मुसलमानों के कथित आघात के नाम पर अपने भारत विरोधी प्रचार को फैलाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। संगठन मुख्य रूप से अपने निहित स्वार्थों को फलने-फूलने में लगा हुआ है। और इसका मुस्लिम महिलाओं के कल्याण से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने बताया कि इसने न तो ‘खुला’ के मुद्दे को छुआ है, जो कि तलाक के लिए एक मुस्लिम महिला का निर्विवाद अधिकार है, और न ही मुस्लिम पुरुष के इस्लाम मे एकाधिकार पर सवाल उठाया है। यदि वे वास्तव में मुस्लिम महिलाओं के लिए कुछ करना चाहते हैं, तो उन्हें उनके लिए आधुनिक/व्यापार उन्मुख शिक्षा या कौशल कार्यक्रमों पर जोर देना चाहिए।
भाजपा नेता वाचस्पति अग्रवाल ने कहा कि हकीकत यह है कि भारत सरकार द्वारा लागू की गई ‘अल्पसंख्यकों के लिए कल्याणकारी योजनाओं से भारत के मुसलमान खुश और संतुष्ट हैं। मुसलमान अन्य धर्मों के लोगों के साथ शांति से रह रहे हैं और भारत के संविधान और न्यायपालिका में निहित अपने अधिकारों का आनंद ले रहे हैं। लोगों को जानबूझकर लोगों को गुमराह करने और जनता के बीच सत्ता-विरोधी भावनाओं को भडकाने के लिए झूठे प्रचार पर प्रतिक्रिया देने से पहले कथित सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील मुद्दों और हिंसा की घटनाओं के पीछे के तथ्यों की पुष्टि करनी चाहिए। ऐसे भारत विरोधी व्यक्तियों/संगठनों के निहित स्वार्थों की झूठी खबरों और प्रचार का मुकाबला करने के लिए एकजुट होने और देश में सांप्रदायिक सद्भाव और भाईचारे के प्रचार और रखरखाव पर भरोसा करने का सही समय है। इस दौरान अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे।